नारी डेस्क: फैटी लिवर लिवर कैंसर का प्रमुख कारण बनता जा रहा है, खासकर मोटापा, डायबिटीज और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण। आज के लेख में, हम एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दे पर चर्चा करेंगे फैटी लिवर रोग से जुड़े लिवर कैंसर की चिंताजनक वृद्धि। जैसे-जैसे मोटापे और डायबिटीज जैसे जीवनशैली के कारक आम होते जा रहे हैं, फैटी लिवर और लिवर कैंसर के बीच के संबंध को समझना रोकथाम के लिए बेहद जरूरी है। आइए, हम लिवर कैंसर के संकेत, जोखिम और सबसे महत्वपूर्ण, अपने लिवर स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रभावी के बारे में जानकारी प्राप्त करें। इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) द्वारा इंटरनेशनल लिवर कैंसर कोर्स (ILCC) 2.0 और सोसायटी ऑफ ट्रांसप्लांट इमेजिंग एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का सम्मेलन आयोजित किया गया। यह तीन दिन तक चलने वाला सम्मेलन लिवर, किडनी, हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण के इमेजिंग तकनीकों पर केंद्रित था। इसके साथ ही, लिवर कैंसर के बढ़ते मामलों और इसके प्रबंधन पर विशेषज्ञों ने गहन चर्चा की।
फैटी लिवर लिवर कैंसर का प्रमुख कारण
ILBS की एक स्टडी के अनुसार, भारत में लिवर कैंसर के 35-40% मामलों का प्रमुख कारण फैटी लिवर है। पहले यह बीमारी मुख्य रूप से हेपेटाइटिस बी और शराब के सेवन से जुड़ी थी, लेकिन अब मोटापा, डायबिटीज, और कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर के कारण फैटी लिवर लिवर कैंसर का प्रमुख कारण बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि लिवर कैंसर का शुरुआती चरण में पहचान करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि यह बीमारी अक्सर बिना लक्षणों के प्रकट होती है।
देर से पता चलने पर इलाज
भारत में 60-80% लिवर कैंसर के मरीज एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे उनके लिए इलाज के सीमित विकल्प ही बचते हैं। देर से निदान होने के कारण उपचार की जटिलता और महंगे इलाज की जरूरत होती है, जिससे अधिकांश मरीजों को लाभ नहीं मिल पाता। एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई कि शुरुआती पहचान और जागरूकता की कमी इस स्थिति को और गंभीर बना रही है।
लिवर कैंसर के बदलते कारण
ILBS के निदेशक डॉ. शिव कुमार सरीन ने सम्मेलन के दौरान कहा कि इंटरनेशनल लिवर कैंसर कोर्स-2024 का आयोजन लिवर कैंसर के इलाज के दिशा-निर्देशों और क्लीनिकल प्रैक्टिस के बीच की खाई को पाटने के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। पहले जहां लिवर कैंसर का प्रमुख कारण हेपेटाइटिस बी और सी था, अब मोटापा और फैटी लिवर लिवर कैंसर के प्रमुख कारणों में शुमार हो गए हैं।
नई तकनीकों और इलाज के तरीकों पर चर्चा
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, इम्यूनोथैरेपी, ट्रांसलेशनल रिसर्च, और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी जैसे अत्याधुनिक विषयों पर चर्चा की गई। एशिया के करीब 100 युवा फैकल्टी, रेजिडेंट डॉक्टरों, और शोधकर्ताओं को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी गई, ताकि उन्हें लिवर कैंसर के उपचार में नवीनतम तकनीकों और तरीकों का ज्ञान मिल सके।
जागरूकता की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि लिवर कैंसर की पहचान और उपचार में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाना जरूरी है। लिवर कैंसर अक्सर बिना लक्षणों के प्रकट होता है, जिससे इलाज में देरी होती है। इस स्थिति को बदलने के लिए लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने और नियमित जांच कराने की आवश्यकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वायरल हेपेटाइटिस पर सहयोगी केंद्र (WHO-CC) ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लिवर कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना और इसके रोकथाम और इलाज के लिए नए उपायों पर चर्चा करना था।
लिवर कैंसर के मामलों में हो रही बढ़ोतरी और इसके प्रमुख कारणों में बदलाव को देखते हुए, यह जरूरी हो गया है कि आम जनता को फैटी लिवर और इससे जुड़े खतरों के प्रति जागरूक किया जाए। इस सम्मेलन ने विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया, ताकि लिवर कैंसर के निदान और उपचार में सुधार हो सके।