संतान सुख संसार में सबसे उत्तम सुख माना गया है। आधुनिकता के चलते आज एक ही संतान का चलन तेजी से व्यवहार में आया है। आधुनिकीकरण ने पहले ही परिवारों का आकार छोटा कर दिया है। ऐसे में एक बच्चे का पालन पोषन करना जरा टेढ़ी खीर है। यदि आप एक ही संतान के अभिभावक हैं तो थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता है क्योंकि इकलौता है आपकी आंखों का तारा...
समय बदल गया है। आज के दौर और रहन-सहन के साथ ही नगरीय जीवन शैली ने भी लोगों को प्रभावित किया है। एकल परिवारों में इकलौते बच्चे की परवरिश मां-बाप के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी और कठिन चुनौती बन चुका है। कई बार इकलौता बच्चा दूसरे बच्चों से व्यवहार व कार्यशैली में बिल्कुल अलग होता है। अभिभावक के लाड़-प्यार के कारण ऐसे बच्चे अक्सर शरारती और गुस्सैल हो जाते हैं। इन बच्चों को माता-पिता के लाड-प्यार के साथ उनकी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। यदि आपके आंगन में हो रही है इकलौती संतान की परवरिश तो इन बातों का रखें ख्याल :
ध्यान दें कहीं वह जिद्दी तो नहीं
उसकी हर मांग को पूरा न करें। वह कमजोर है, अकेला है ऐसे विचार मन से निकाल दें। बच्चा अकेला होता है तो माता-पिता का पूरा ध्यान उसी पर होता है। शरारती बच्चे सबको अच्छे लगते हैं, मगर कई बार ये शरारतें दूसरों की परेशानियां बन जाती हैं। ऐसे में अकेला बच्चा है, उसे कैसे डांटा जाए या बड़ा होकर ठीक हो जाएगा, जैसी बातें बच्चे को और उकसाती हैं, उसे उद्दंड बनाती हैं।ध्यान रखें कि अच्छी और योग्य संतान एक ही अच्छी होती है और अयोग्य सौ कौरव भी किसी काम के नहीं रहे। इसलिए यदि आप एक संतान के अभिभावक हैं तो चिंता की बात नहीं बस थोड़ी सी समझदारी से काम लें ,जिससे आपका चांद दुनिया में आपका नाम रोशन कर सके।
इन्हें चाहिए पूरी अटैंशन
जहां संयुक्त परिवारों में घर के दूसरे लोग बच्चों का ध्यान रख लेते थे वहीं एकल होती जीवनशैली में अभिभावकों का कामकाजी होना भी एक समस्या बन गया है। ऐसे में इकलौती संतान को समय देना अपना कर्तव्य समझना चाहिए। यदि कामकाजी दम्पति के पास समय की कमी है तो कोशिश करें कि जो भी समय बच्चे को दे सकते हैं वह क्वालिटी समय हो। बच्चे के साथ खेलें, उसे साथ लेकर उसकी पुस्तकों या कपड़ों की अलमारी साफ करें, किचन में कुछ-कुछ सीखें सिखाएं, सोते समय उसे अच्छी कहानियां सुनाएं।
जिम्मेदारी का कराएं अहसास
प्यार पाना बच्चे का अधिकार है लेकिन यह भी ध्यान रखें कि इकलौती संतान को जो कुछ भी आप सिखाएंगे वह सीखता चला जाएगा, उसे सिखाने वाला दूसरा कोई नहीं है इसलिए लाड-प्यार दें, मगर उसे जिम्मेदारियों का अहसास भी कराएं। उसे जीवन की वास्तविकता के बारे में बताएं। उसे छोटी-छोटी जिम्मेदारी दें और कुछ मसलों पर उसकी राय लें ताकि उसे महसूस हो कि वह भी महत्वपूर्ण है। बचपन से उसे कुछ छोटे-छोटे काम देकर उसकी जिम्मेदारी तय करें, उससे उसका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
मूल्य का करें विकास
बेहतर नागरिक और अच्छा इंसान बनाने के लिए जरूरी है कि बच्चे में मूल्यों का समुचित विकास हो। बच्चे को सुविधाएं देते हुए उसे यह जरूर बताएं कि देश में लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें बुनियादी-सुविधाएं तक मुहैया नहीं हैं।उसके जन्मदिन को अलग अंदाज में मनाएं। उसे उपेक्षित बच्चों के बीच टॉफियां खिलौने बांटने को कहा जाए या उसे अनाथालय ले जाकर केक काटने को कहें। ध्यान रखें उसे मालूम होना चाहिए कि जीवन सिर्फ वही नहीं जो वह जी रहा है या उसके वर्ग के अन्य लोग जी रहे हैं। उसे अच्छी पुस्तकें पढ़ने को दें। छुट्टियों में दादा-दादी, नाना-नानी और अन्य संबंधियों के बीच जरूर ले जाए।
बच्चे को बनाएं सामाजिक
आखिर आपकी संतान को बड़े होकर समाज का जिम्मेदार नागरिक बनना है तो पहल आपकी ओर से ही होनी चाहिए। पड़ोस में होने वाले आयोजनों, पूजा, विवाह, पार्टी में उसे साथ ले जाएं। अधिक से अधिक समूह कार्यक्रमों में उसे सहभागिता करने दें। कभी-कभी चिड़िया घर या किसी अच्छे पार्क में पिकनिक पर जरूर ले जाएं। अकेले बच्चे को ज्यादा से ज्यादा कम्पनी देने की जरूरत है। उसे खुद समय दें, सप्ताह में एक दिन उसके मित्रों को घर पर जरूर बुलाए या फिर खुद उसके साथ मित्रों के घर जाएं। इस तरह की गतिविधियों से उसमें सामाजिकता पैदा होगी। कई बार बच्चा कह देता है कि आप लोग जाएं, मैं घर पर ही रहूंगा। घर पर रहने का मतलब यह है कि बच्चा टी.वी., कम्प्यूटर से चिपका रहेगा। लिहाजा अपनी जिम्मेदारियों और बच्चों की शरारतों से बचने के लिए उसे ऐसी स्थितियों का शिकार न बनने दें। जहां तक भी संभव हो सके उसे अपने साथ रखें।