एलियंस एक ऐसा रहस्य हैं, जिसकी गुत्थी सुलझाने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक वर्षों से मेहनत कर रहे हैं। उनकी मेहनत तब रंग लाई जब पहली बार मंगल ग्रह से पृथ्वी ग्रह पर एक एलियन सिग्नल भेजा गया। ये सिग्नल मार्स के ऑर्बिट में घूम रहे TGO ने 24 मई को रात 9 बजे भेजा, जो 16 मिनट बाद पृथ्वी पर रिसीव हुआ।
ये सिग्नल आए हैं मंगल ग्रह से, जिन्हें भेजने वाला कोई एलियन नहीं है बल्कि इसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी के एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर भेजा है। एक रिपोर्ट के अनुसार अंतरिक्ष एजेंसी एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (टीजीओ) ने बुधवार रात 9:00 बजे मंगल के चारों ओर अपनी कक्षा से एक एन्कोडेड संदेश भेजा, ताकि एक ऐसी स्थिति को क्रिएट किया जा सके जो हमें भविष्य में किसी अन्य सभ्यता से वास्तविक संकेत प्राप्त करने पर होगी।
बताया जा रहा है कि एलियन के इन संदेशों को मंगल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहे एक्सोमार्स स्पेसक्राफ्ट ने रिसीव किया था। दरअसल इस सिग्नल को भेजकर वैज्ञानिकों ने ये जानने की कोशिश की है कि असल में किसी एलियन के सिग्नल भेजने पर क्या हम उसे रिसीव कर पाएंगे या नहीं। वैज्ञानिक इसे जब जनता के लिए सार्वजनिक करेंगे, तब वह यह भी बताएंगे कि इन संदेशों को डिकोड कैसे करना है ।
मंगल ग्रह के पृथ्वी के सबसे नजदीक रहने पर भी उसकी दूरी करीब 3.86 करोड़ किलोमीटर होती है। यह मैसेज करीब 4 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करते हुए धरती तक महज 16 मिनट में पहुंच गया। दुनिया भर के इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स, स्पेस साइंटिस्ट्स और आर्टिस्ट्स की एक संयुक्त टीम बनाई गई है, जो एलियंस से आने वाले मैसेज को डिकोड करने और उसे इंटरप्रेट करने का प्रोसेस तैयार कर रही है।