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11 बार रंग बदल चुका है कोरोना, A2a टाइप सबसे ज्यादा खतरनाक

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 30 Apr, 2020 09:19 AM
11 बार रंग बदल चुका है कोरोना, A2a टाइप सबसे ज्यादा खतरनाक

दुनियाभर में कहर मचा चुका कोरोना धीरे-धीरे भारत में भी अपने पैर पसार रहा है। कोरोना से बचाव के लिए दवा व वैक्सीन ढूंढने की राह में वैज्ञानिक रात दिन रिसर्च कर रहे हैं। वहीं कोरोना की रिसर्च में लगातार नई बातें भी सामने आ रही हैं। हाल ही में कोरोना को लेकर हुई क रिसर्च में सामने आया है कि यह वायरस अब तक कई बार रंग बदल चुका है।

 

11 बार रंग बदल चुका है कोरोना

भारत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जिनोमिक्स की रिसर्च के मुताबिक,  जब से ये वायरस अस्तित्व मे आया है, तब से ये खुद में लगातार बदलाव कर रहा है। कोरोना वायरस अब तक 11 अलग-अलग टाइप में बदल चुका है  वायरस को O, A2, A2a, A3, B, B1 और कई अन्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें से A2a टाइप कोरोना को सबसे खतरनाक बताया जा रहा है। कोरोना का यही रूप दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमण फैला रहा है।

Coronavirus' has changed its shape eight times

3600 कोरोनावायरस पर हुई रिसर्च

कोरोना के बाकी वायरस के मुकाबले A2a वायरस का तेजी से ट्रांसमिशन होता है इसलिए यह तेजी से दुनिया में फैल चुका है। A2a वायरस फेफड़े को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त करने की ताकत रखता है। पिछले 4 महीने में कोविड-19  के 10 प्रकार अपने पुराने 'O' टाइप के थे, जो इससे कम घातक थे। शोधकर्ताओं ने 3600 वायरस पर शोध करने के बाद नतीजे जारी किए हैं। 

A2a सबसे खतरनाक क्यों है?

शोधकर्ताओं के अनुसार, A2a वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद तेजी से संख्या बढ़ाता है, जिससे मरीज की हालत खराब हो जाती है। इस स्ट्रेन में अमीनो एसिड, एस्पार्टिक एसिड से ग्लाइसीन में बदल जाता है। कोरोना के दूसरे प्रकारों में केवल एस्पार्टिक एसिड मौजूद होता है, जिसमें कोई बदलाव नहीं होता। यही वजह है कि इसे सबसे घातक माना जा रहा है।

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भारत में 45% के अंदर A2a वायरस

शोध के अनुसार, दूसरे देशों में A2a वायरस की पहुंच 80% लोगों तक पहुंच गई है जबकि भारत में 45% लोगों में कोरोना का यह रूप पाया गया।

सीधे फेफड़ों पर कर रहा अटैक

इंसान के फेफड़े अपनी सतह से एसीई2 प्रोटीन जारी करते हैं। कोरोना से निकलने वाले स्पाइक प्रोटीन पहले एसीई2 से चिपकते हैं फिर दूसरा प्रोटीन फेफड़े की कोशिकाओं में घुसने की कोशिश करता है। कोरोना का रूप जितना ताकतवर होगा यह इंसानों के प्रोटीन पर उतनी ही तेजी से जुड़कर फेफड़ों में पहुंचेगा।

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