प्राचीन काल में महिलाएं खाना बनाने के लिए मिट्टी की चूल्हे, हांडी और अन्य बर्तन का इस्तेमाल करती थी। यहां तक कि खाना खाने पानी पीने के लिए भी मिट्टी के बर्तनों का ही यूज होता था। मगर, आधुनिकता युग गैस चूल्हों, फ्रिज और ओवन, प्लास्टिक, स्टील, एल्युमिनियम, कांच के बर्तनों, नॉन स्टिक तवे ने इनकी जगह ले ली। हालांकि एक बार फिर लोगों में मिट्टी के बर्तनों का क्रेज देखने को मिल रहा है।
जी हां, सिर्फ सेहत ही नहीं बल्कि साज-सजावट के लिए भी इसकी डिमांड बढ़ गई है। मिट्टी के बर्तन देखने में भी बेहद लुभावने लगते हैं। रसोई की साज-सज्जा को भी यह बर्तन चार चांद लगा रहे हैं। दिल्ली व गुरुग्राम में मिट्टी के बर्तनों की एक बड़ी बंजारा मार्कीट लगती है जहां मिट्टी के बर्तनों से लेकर साज सजावट के सामान की बहुत वैरायिटीज देखने को मिलती है। बहुत से कारगीर-खानाबदोश इसे तैयार करते हैं। यह आपको कई तरह के रंगों में खूबसूरत डिजाइनिंग आर्ट में मिलेंगे जो देखने में बेहद आकर्षक दिखते हैं।
सस्ते व माइक्रोवेव सेफ हैं ये बर्तन
माइक्रोवेव सेफ मिट्टी के बर्तनों का ट्रेंड इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि इसे बनाने में किसी भी तरह की धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाता। माइक्रोवेव में भी इन बर्तनों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कीमत की बात करें तो यह यह ज्यादा महंगे भी नहीं होते हालांकि इसकी संभाल करने की जरूरत पड़ती हैं क्योंकि यह गिरने या जोरदार ठोकर लगने पर टूट जाते हैं।
दो तरह के होते हैं बर्तन
मिट्टी के बर्तन 2 तरह के होते हैं पहला कुम्हार परंपरागत चाक पर द्वारा बनाए गए और दूसरे फैक्ट्री में डाई (खांचे) में बनाए गए। दोनों तरह के बर्तन मजबूत और सेहत के लिए अच्छे होते हैं।
ज्यादा नहीं तो कम से कम मिट्टी का तवा, प्लेट, गिलास, हांडी, वॉटर जग, बोतल, इडली मेकर, रोटी रखने वाला डिब्बा आदि यूज करें।
चाय पीने के शौकिन हैं तो आम कप की बजाएं कुल्हड़ में चाय पीने का मजा जरूर लें।