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भारती सिंह को Pregnancy में हुई ये बीमारी! जानें क्या है बीमारी और कैसे करें इसका इलाज

  • Edited By Monika,
  • Updated: 20 Dec, 2025 01:13 PM
भारती सिंह को Pregnancy में हुई ये बीमारी! जानें क्या है बीमारी और कैसे करें इसका इलाज

नारी डेस्क : मां बनना हर महिला के लिए खुशी का पल होता है, लेकिन कई बार इस दौरान गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। यही वह समय होता है जब महिलाओं को अपनी सेहत और खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इसी कड़ी में बॉलीवुड की कॉमेडियन भारती सिंह हाल ही में अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान एक चुनौतीपूर्ण स्थिति से गुज़रीं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया ब्लॉग में बताया कि उन्हें गेस्टेशनल डायबिटीज (GDM), यानी प्रेग्नेंसी के दौरान रक्त शर्करा बढ़ने की समस्या, का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

गेस्टेशनल डायबिटीज क्या है? (Gestational Diabetes)

गेस्टेशनल डायबिटीज आमतौर पर गर्भावस्था के 24–28 सप्ताह में दिखाई देती है। यह तब होता है जब महिला के शरीर में रक्त शर्करा की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। इसका मतलब यह नहीं कि महिला पहले से डायबिटीज की शिकार थी। जिन महिलाओं में पहले से टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज होता है, उन्हें प्रेग्नेंसी में ज्यादा परेशानी हो सकती है। इंसुलिन हार्मोन के अवरोधक बढ़ने से भी इसका खतरा बढ़ सकता है। ज्यादातर महिलाओं में संतुलित आहार और अच्छी जीवनशैली अपनाने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

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गेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण (Gestational Diabetes)

बहुत ज्यादा भूख लगना।
सामान्य से अधिक प्यास लगना।
बार-बार पेशाब आना।
ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना।

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बच्चे की सेहत पर असर

जन्म के समय बच्चे का वजन सामान्य से अधिक होना।
शिशु को दौरे पड़ना और समय से पहले जन्म (Preterm Birth) होना।
भविष्य में बच्चे में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाना।

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गेस्टेशनल डायबिटीज हो तो ये सब खाएं 

संतुलित आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला प्रोटीन अपने भोजन में 50% शामिल करें।
फल और दूध: फल और सब्जियों को खाएं, लेकिन जूस से परहेज करें।
कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन: अनाज और दालें अपनी थाली में 25-25% शामिल करें।

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डॉक्टर के अनुसार, समय पर जांच, संतुलित आहार और सही जीवनशैली अपनाने से गेस्टेशनल डायबिटीज को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे मां और बच्चे दोनों की सेहत सुरक्षित रहती है।
 

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