कोलकाता में हुए रेप-मर्डर केस और महाराष्ट्र के बदलापुर में स्कूल में बच्चियों के साथ यौन शोषण की खबर ने हमें हिला कर रख दिया है। हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर क्यों बेटियों के साथ दरिंदगी बढ़ रही है। इस सब के पीछे अडल्ट वीडियो का बेहद बड़ा रोल है। जी, हां रेप के मामलों में अश्लील वीडियो देखने का कनेक्शन बहुत गहरा है। हालांकि इसे लेकर कानून सख्त हैं, लेकिन इसके बावजूद अश्लील वीडियो देखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।
इसका क्या पड़ता है प्रभाव
अडल्ट वीडियो देखने और उसके प्रभाव के कारण भारत में रेप और यौन उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि की चर्चा होती रही है। दरसल इसे देखने से यौन उत्तेजना बढ़ सकती है और व्यक्ति के यौन विचारों और व्यवहारों पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप यौन आक्रामकता या यौन व्यवहारों में असामान्य प्रवृत्तियां विकसित हो सकती हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार, अडल्ट वीडियो का बार-बार देखना यौन उत्पीड़न और हिंसात्मक यौन व्यवहार को बढ़ावा दे सकता है। कुछ लोग तर्क देते हैं कि अश्लील वीडियो के व्यापक उपयोग के कारण यौन अपराधों में वृद्धि हो रही है लेकिन इस संबंध में स्पष्ट निष्कर्ष निकालना मुश्किल है क्योंकि यौन अपराधों के पीछे कई अन्य कारक भी होते हैं।
कोलकाता कांड का भी है अश्लील वीडियो से कनेक्शन
साल 2021 में दिल्ली कैट में एक बच्ची के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी गई। इस मामले में आरोपी की मोबाइल हिस्ट्री निकालने पर पता चला कि आरोपी लगातार अश्लील वीडियो देखता था। रेप से जुड़े कई मामलों में आरोपी को पॉर्न विडियो देखने की लत होने की बात सामने आई है। कोलकाता रेप-मर्डर केस में भी बताया जा रहा है कि आरोपी व्यक्ति ने पहले शराब का सेवन करते हुए अश्लील वीडियो देखे थे।
भारत में अडल्ट वीडियो के कानून
भारतीय कानून के तहत पोर्नोग्राफी का उत्पादन, प्रसारण, बिक्री, या वितरण अवैध है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 के तहत किसी भी व्यक्ति को अश्लील सामग्री इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रकाशित करने, प्रसारित करने, या साझा करने पर दंडित किया जा सकता है। इसमें तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पोर्नोग्राफी की वेबसाइटों पर रोक लगाने के उपायों पर विचार करे। इसके परिणामस्वरूप, कई पोर्नोग्राफी वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया गया है।
बच्चों को लेकर कानून कठोर
भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत बच्चों के साथ अश्लील वीडियो बनाना, देखना, या प्रसारित करना एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है। हालांकि, कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि पूरी तरह से रोक लगाना मुश्किल है और प्रतिबंध लगाने से इसके गुप्त प्रसार में भी वृद्धि हो सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोर्नोग्राफिक सामग्री की उपलब्धता को लेकर भी चिंताएं उठाई गई हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर भी अश्लील वीडियो फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं।
यौन शिक्षा और जागरूकता
कुछ विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि भारत में यौन शिक्षा की कमी भी यौन अपराधों के बढ़ने का एक कारण हो सकती है। सही यौन शिक्षा देने से बच्चों और युवाओं को यौन शोषण और अपराधों के बारे में जागरूक किया जा सकता है। अश्लील वीडियो के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई गैर-सरकारी संगठन और सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं।
जागरूकता की आवश्यकता
अश्लील वीडियो और यौन अपराधों के बीच संबंध जटिल और विवादास्पद है। हालांकि इसे लेकर कानून सख्त हैं, लेकिन इसके प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सामाजिक और शैक्षिक प्रयास भी जरूरी हैं। यौन अपराधों को रोकने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें कानून के साथ-साथ सही यौन शिक्षा, नैतिक शिक्षा, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का समावेश हो।