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भारत के दानवीर Ratan Tata, जितना Mukesh Ambani ने कमाया, उतना दान कर चुका Tata Group!

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 10 Oct, 2024 09:06 PM
भारत के दानवीर Ratan Tata, जितना Mukesh Ambani ने कमाया, उतना दान कर चुका Tata Group!

नारी डेस्कः देश के फेमस बिजनेसमेन रतन टाटा (Ratan Naval Tata) भले ही दुनिया को अलविदा कह गए हैं लेकिन उनकी दरिया-दिली हमेशा ही लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी। रतन टाटा अपनी कमाई का 66 फीसदी हिस्सा दान कर देते थे और ये दानवीरता उन्हें अपने परिवार से ही विरासत में मिली थी। टाटा ग्रुप, टाटा ट्रस्ट के जरिए (Tata Group & Tata Trust) स्वास्थ सेवा, शिक्षा के क्षेत्र में दिल खोलकर दान देता रहा है। जमशेद जी टाटा के बाद रतन टाटा जी ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया और दान देने में पीछे नहीं रहे तभी तो उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर कहा जाता है। 

दुनिया में दान करने वालों की लिस्ट में टॉप पर टाटा ग्रुप (One of the largest charitable organizations in India, Tata Trusts)

दुनिया में सबसे ज्यादा दान देने वालों की लिस्ट में टॉप पर टाटा ग्रुप का नाम आता है। हुरुन रिसर्च और एडेलगिव फाउंडेशन की पिछले 3 साल की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 100 सालों में दुनिया भर के सबसे बड़े दानदाताओं की लिस्ट में 'टाटा ग्रुप' के फाउंडर 'जमशेदजी टाटा' का नाम पहले नंबर पर रहा और उसके बाद रतन टाटा ने अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया।

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टाटा ट्रस्ट, दुनिया का सबसे पुराना फाउंडेशन है। पिछले 100 सालों में जमशेदजी टाटा ने 102.4 अरब डॉलर यानी करीब 7.60 लाख करोड़ रुपए दान देकर सबसे बड़े दानवीर का दर्जा हासिल किया। Tata Group ने भारत के स्वास्थ और शिक्षा सेवा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई। जमशेदजी टाटा की विरासत को रतन टाटा ने बखूबी संभाला और दान में भी पीछे नहीं रहे। Tata Sons का लगभग 66% हिस्सा Tata Trust के पास है। अनुमानों के अनुसार, टाटा समूह के द्वारा किए गए कुल दान वर्षों से अरबों डॉलर से अधिक हो चुके हैं।

बता दें कि रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति अक्टूबर 2024 के अनुसार, लगभग 9.66 लाख करोड़ रू. (लगभग $119.5 बिलियन) बताई जाती है जितना मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की अब तक की कुल संपत्ति है, उतना करीब पिछले 100 सालों में टाटा ग्रुप दान कर चुका है। 

टॉप-50 दानदाताओं की लिस्ट में दूसरे नंबर पर अजीम प्रेमजी

हुरुन रिसर्च और एडेलगिव फाउंडेशन की पिछले 3 साल की रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप-50 दानदाताओं की लिस्ट में दूसरे नंबर पर अजीम प्रेमजी का नाम शामिल किया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, अजीम प्रेमजी विप्रो की कमाई का 67% दान करते हैं। साल 2010 में उन्होंने गिविंग प्लेज पर साइन किए। तब से वे विप्रो की कमाई का 67% अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में ट्रांसफर कर देते हैं। यह फाउंडेशन ग्रामीण इलाकों में शिक्षा संस्थानों पर काम करता है जिसकी वैल्यू 1.5 लाख करोड़ रुपए है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और विप्रो ने मिलकर 1 हजार करोड़ रुपए कोविड-19 से निपटने के लिए भी दान किए थे।

बता दें कि हुरुन रिसर्च और एडेलगिव फाउंडेशन की जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे अमीरों की लिस्ट में भारत 11वें नंबर पर रहा था लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा दान देने वालों की लिस्ट में टॉप पर है।  पिछले 100 सालों में दुनिया भर के सबसे बड़े दानदाताओं की लिस्ट में टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा का नाम पहले नंबर पर रहा था।

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हुरुन रिसर्च और एडलगिव फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, जमशेदजी टाटा के नाम पर हुए दान की रकम टाटा संस की लिस्टेड कंपनियों की कीमत का 66% है। टाटा ने 1870 के दशक में सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग वीविंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी शुरू की थी। फिर हायर एजुकेशन के लिए 1892 में जे.एन. टाटा एंडोमेंट की स्थापना की थी जो टाटा ट्रस्ट की शुरुआत थी।

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देश के उज्जवल भविष्य के लिए स्वास्थ औ शिक्षा संस्थानों में दान 

रतन टाटा को अपने देश, शैक्षिणक संस्थान, देश के युवा और अपने कारोबार से काफी लगाव था। देश के युवाओं को कारोबार की दुनिया में लाने के लिए रतन टाटा स्टार्टअप्स में निवेश करके नौजवान उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के साथ आर्थिक मदद किया करते थे। शिक्षा के प्रति उनका काफी लगाव था। वह देश के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा पर अपना अधिक फोक्स रखते थे। शिक्षा के लिए उन्होंने करोड़ों-अरबों रु. का दान दिया।

1. साल 2008 में पूरी दुनिया में महामंदी का दौर चल रहा था। इस महामंदी के दौर में भी रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को करीब 50 मिलियन डॉलर दान में दिया था। उनके द्वारा उस समय दिया गया यह दान दुनिया का सबसे बड़ा दान बन गया था।

2. साल 2014 में IIT Bombay में रिसर्च के लिए 95 करोड़ रु. का दान किया। कोरेल यूनिवर्सिटी में शिक्षा के लिए 28 मिलियन डॉलर का दान दिया।

3. कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 1,500 करोड़ रू. का दान दिया। Tata Cancer Care Foundation और अस्पतालों के जरिए, Tata Group, कैंसर का इलाज मुहैया करवा रहे हैं। 

टाटा ग्रुप का अब तक 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा का योगदान 

वर्षों में, टाटा ट्रस्ट्स ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण धनराशि दान की है। कुल मिलाकर इन योगदानों का अनुमान $4 बिलियन से अधिक है जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कार्य शामिल रहे हैं। रतन टाटा व्यक्तिगत रूप से अपने निजी दान को प्रकट करने से बचते हैं, लेकिन टाटा ट्रस्ट्स की दानशील विरासत उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली परोपकारी व्यक्तियों में से एक बनाती है। रतन टाटा द्वारा की गई दान राशि को सटीक रूप से बताना मुश्किल है क्योंकि उनके अधिकांश परोपकारी कार्य टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से किए जाते हैं जो टाटा परिवार की संपत्ति से दान प्रबंधित करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। हालांकि, उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, यहां रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट्स द्वारा किए गए कुछ प्रमुख योगदान दिए गए हैं:-

टाटा सन्स में टाटा ट्रस्ट्स की हिस्सेदारी: टाटा सन्स का लगभग 66% हिस्सा टाटा ट्रस्ट्स के पास है। इस हिस्सेदारी से होने वाला लाभ परोपकारी कार्यों में लगाया जाता है। अनुमानों के अनुसार, टाटा समूह के द्वारा किए गए कुल दान वर्षों से अरबों डॉलर से अधिक हो चुके हैं।

यह भी पढ़ेंः कैंसर हॉस्पिटल में ही क्यों दिया टाटा ग्रुप ने योगदान, जानिए इसके पीछे की वजह

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कोविड-19 दान: 2020 में, महामारी के दौरान, टाटा ट्रस्ट्स और टाटा सन्स ने कोविड-19 राहत के लिए ₹1,500 करोड़ (लगभग $200 मिलियन) का वचन दिया। इसमें ₹500 करोड़ टाटा ट्रस्ट्स से और ₹1,000 करोड़ टाटा सन्स से स्वास्थ्य सेवाओं, परीक्षण किटों और सुरक्षात्मक उपकरणों के लिए दिए गए थे।

स्वास्थ्य और शिक्षा में योगदान: टाटा ट्रस्ट्स ने टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे मेडिकल ढांचे को वित्तपोषित किया है। उन्होंने ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता, कृषि विकास और स्वच्छ पेयजल परियोजनाओं में भी योगदान दिया है। 

रतन टाटा जी भारत के रत्न थे। रतन टाटा जी की बहुमूल्य बातें जो आपके जीवन को नई दिशा देंगी। जीवन की सफलता इन्हीं शब्दोंं में छिपी है।

'अपनी जड़ों को कभी मत भूलो और हमेशा उस पर गर्व करो जहां से तुम आए हो।'
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"लोग जो पत्थर तुम्हारी तरफ फेंकते हैं, उसे संभाल लो और उन्हें उठाकर एक स्मारक बना लो।"
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"कोई भी लोहे को नष्ट नहीं कर सकता लेकिन उसका अपना जंग उसे नष्ट कर सकता है! इसी तरह, कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता लेकिन उनकी अपनी मानसिकता कर सकती है।"
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'मैं चाहूंगा कि मुझे ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाए जिसने कुछ अलग किया है, ना कुछ अधिक, ना कुछ कम!'
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'मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।'
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'कोशिश ना करना ही सबसे बड़ी असफलता है'

 

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