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'चोली के पीछे' गाने को गाकर अलका याग्निक को आ गई थी शर्म, इसे सुनते ही भड़क गए थे लोग

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 07 Aug, 2023 03:55 PM
'चोली के पीछे' गाने को गाकर अलका याग्निक को आ गई थी शर्म, इसे सुनते ही भड़क गए थे लोग

फिल्मकार सुभाष घई का कहना है कि 1993 में आई उनकी फिल्म 'खलनायक' के गाने ''चोली के पीछे'' की कल्पना मूल रूप से एक लोक गीत के रूप में की गई थी और इसके बोलों को लेकर हुए हंगामे से वह बेहद हैरान हुए थे। 'खलनायक' छह अगस्त 1993 को रिलीज हुई थी और रविवार को इसकी रिलीज के 30 साल पूरे हो गए। सुभाष घई ने 'खलनायक' का निर्माण अपनी पारंपरिक शैली में किया था, जिसमें मनोरंजन, शानदार गाने और कई बड़े कलाकारों ने अभिनय किया था।

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फिल्म में अभिनेता संजय दत्त, जैकी श्रॉफ और माधुरी दीक्षित अहम भूमिका में थे। 'खलनायक' को 1990 के दशक की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक के रूप में याद किया जाता है। इस फिल्म के 30 साल पूरे होने पर इसके निर्देशक सुभाष घई ने अपने एक इंटरव्यू में कहा- ‘‘ 'खलनायक' की सबसे खास बात जो मुझे याद है, वह है जब लोगों ने 'चोली के पीछे' गाने को अश्लील करार दिया था। यह मेरे लिए एक त्रासदी थी... एक बहुत बड़ा झटका। हमने इसे एक लोकगीत की तरह बनाया था और इसे कलात्मक तरीके से प्रस्तुत किया था। लेकिन, जब यह फिल्म रिलीज हुई तो विरोध प्रदर्शन हुए थे।'' 

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गायिका अलका याग्निक ने गाने में माधुरी दीक्षित के लिए पार्श्वगायन किया था, जबकि इला अरुण ने नीना गुप्ता पर फिल्माया गया गाने का लोक संस्करण गाया था।  '' वहीं अल्का याग्निक ने भी पुराने  दिनों को याद करते हुए कहा कि- 'इस गाने के बोल काफी अजीब थे, मुझे तो इस गाने में शर्म भी आ रही थी, जब मैं रिहर्सल करने गईं तो उन्होंने बस मुझे मेरी लाइनें दीं. मैंने उस वक्त केवल पढ़ा चोली में दिल है मेरा, बाकी लाइनें आगे की क्या है उसके बारे में बाद में मुझे पता चला.' ।  वहीं ईला अरुण की बात करें तो उनकी मां ने उन्हें यह गाना गाने की इजाजत नहीं दी थी।

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 ईला के मुताबिक इस गाने के लिरिक्स की वजह से उन्होंने इसे रिजेक्ट करने का सोच लिया था, लेकिनवह थिएटर से जुड़ी हुई थी और फोल्क म्यूजिक से परिचित थी, इसलिए उन्होंने इसे गाया। उनका मानना है कि यह गाना आज भी लोगों की यादों में सिर्फ इसलिए बसा है, क्योंकि इसे शानदार तरीके से कंपोज किया गया। 'चोली के पीछे' गाने को प्रसिद्ध गीतकार आनंद बख्शी ने लिखा था जबकि अनुभवी संगीत निर्देशकों की जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने इसका संगीत दिया था। 

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