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कभी घरेलू हिंसा के कारण सुसाइड करना चाहती थी कल्पना सरोज, आज संभाल रही हैं करोड़ों का सम्राज्य

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 20 Aug, 2024 10:52 AM
कभी घरेलू हिंसा के कारण सुसाइड करना चाहती थी कल्पना सरोज, आज संभाल रही हैं करोड़ों का सम्राज्य

नारी डेस्क: सपने सच हो सकते हैं, बस उसे पूरा करने की ताकत और हिम्मत होनी चाहिए, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है  कल्पना सरोज। मुंबई की एक झुग्गी-झोपड़ी की धूल भरी गलियों से लेकर भारत की कॉर्पोरेट दुनिया की जगमगाती रोशनी तक, सरोज की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। दलित समुदाय से आने और बिना किसी वित्तीय सहायता के भी जिस तरह से उन्होंने अपना जीवन बदला वह वाकई अविश्वसनीय है।

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बचपन से ही झेला दर्द

कल्पना सरोज के  जीवन की यात्रा बेहद कठिनाइयों से भरी रही है, लेकिन उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से उन सभी चुनौतियों का सामना किया और सफलता हासिल की।कल्पना सरोज का जन्म 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता पुलिस कॉन्स्टेबल थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। समाज के निचले तबके से होने के कारण उन्हें बचपन में ही जातिगत भेदभाव और गरीबी का सामना करना पड़ा।

नया जीवन और संघर्ष

कल्पना सरोज की शादी केवल 12 साल की उम्र में कर दी गई थी। विवाह के बाद उन्हें अपने ससुराल में बहुत अत्याचार और उत्पीड़न सहना पड़ा। ससुराल में उनका जीवन इतना कठिन था कि उन्होंने आत्महत्या करने का प्रयास भी किया। लेकिन उनके परिवार ने उन्हें बचाया और मायके वापस ले आए। मायके लौटने के बाद, कल्पना सरोज ने अपने जीवन को नए सिरे से शुरू किया। वह मुंबई आईं और एक सरकारी कपड़ा मिल में 2 रुपये की नौकरी की। उन्होंने सिलाई से शुरुआत की और फिर 50 रुपये प्रति माह कमाने लगीं। उन्होंने मुंबई में आकर सिलाई का काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने छोटे से व्यवसाय को बढ़ाने का प्रयास किया। उन्होंने बहुत मेहनत की और अपनी क्षमता को पहचाना। उन्होंने महसूस किया कि शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से ही वे अपनी स्थिति सुधार सकती हैं।

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 व्यवसायिक सफलता

कल्पना सरोज ने कड़ी मेहनत और लगन से अपने व्यवसाय को विस्तार दिया। वे एक सफल उद्यमी बनने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं। उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए लघु उद्योग स्थापित किया। इसके बाद, उन्होंने कमानी ट्यूब्स नामक कंपनी का अधिग्रहण किया, जो आर्थिक संकट के कारण बंद होने के कगार पर थी। उन्होंने अपनी प्रबंधन क्षमता और दूरदर्शिता से इस कंपनी को पुनर्जीवित किया और इसे एक सफल उद्योग में बदल दिया। उनकी इस उपलब्धि के कारण उन्हें "दलित इंडस्ट्रीज़ की रानी" के रूप में भी जाना जाने लगा।

सामाजिक कार्य

कल्पना सरोज ने अपने संघर्षों के दौरान महसूस किया कि समाज में शिक्षा और स्वावलंबन की बहुत जरूरत है। इसलिए, उन्होंने कई सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लिया। वे महिलाओं और दलित समुदाय के उत्थान के लिए हमेशा सक्रिय रही हैं। उन्होंने रोजगार सृजन और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कई पहल की हैं। कल्पना सरोज की सफलता को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2013 में पद्म श्री से भी नवाजा गया।

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प्रेरणा की कहानी

कल्पना सरोज की कहानी यह दिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, अगर व्यक्ति में आत्मविश्वास, धैर्य और मेहनत करने की लगन हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में सफलता हासिल कर सकता है। उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है, खासकर उन लोगों के लिए जो कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
 

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