
नारी डेस्क: हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने के पांचवें और आखिरी मंगलवार को बड़ी संख्या में भक्तों ने श्री हनुमान गढ़ी मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की। माना जाता है कि भगवान हनुमान 10वीं शताब्दी से इस स्थान पर हैं, जहां वे अयोध्या के राजा के रूप में विराजमान हैं। भगवान हनुमान की ऐसी अनोखी मूर्ति दुनिया के किसी भी मंदिर में नहीं है। दुनिया भर से भक्त भगवान हनुमान के दर्शन के लिए यहां आते हैं। मंगलवार और शनिवार को दर्शन के लिए विशेष भीड़ आती है।

मंदिर तक पहुंचने के लिए कुल 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम रावण को हराकर अयोध्या लौटे थे, तब भगवान हनुमान यहां रहने लगे थे। इसीलिए इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। यहीं से भगवान हनुमान रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में भगवान हनुमान अपनी मां माता अंजनी की गोद में विराजमान हैं। मंगलवार को प्रयागराज के श्री बड़े हनुमान जी मंदिर में भी भक्तों ने इस शुभ दिन पर पूजा-अर्चना की। 'बड़ा मंगल', जिसे बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है, भगवान हनुमान को समर्पित एक शुभ दिन है। यह दिन हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने में आता है और हनुमान भक्त विभिन्न अनुष्ठान करते हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। कुछ भक्त देवता को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं।

कहा जाता है कि- एक बार अंग्रेजों का काफिला इस मंदिर के रास्ते से गुजर रहा था. उनमें से कुछ लोगों ने मंदिर को महत्वहीन बताया. लेकिन तभी एक घटना घटी और उनकी बग्गी सड़क पर पलट गई. इसके बाद, अंग्रेजों ने इस भव्य मंदिर के लिए मुख्य प्रवेश द्वार बनवाया. तब से यह मंदिर और भी अधिक श्रद्धा का केंद्र बन गया। तभी से यह मान्यता और भी प्रबल हुई कि हनुमान गढ़ी एक जागृत देवस्थान है, जहां कोई भी नकारात्मक ताकत टिक नहीं सकती।

मंदिर की खास बातें
हनुमान जी यहां चार फुट ऊँचे रूप में विराजमान हैं, और माता अंजनी की गोद में बालरूप में हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। अयोध्या आने वाले भक्त सबसे पहले हनुमान गढ़ी में दर्शन करते हैं क्योंकि मान्यता है कि श्रीराम के दर्शन से पहले हनुमान जी के दर्शन आवश्यक हैं। यहां रोज़ हज़ारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। राम नवमी, हनुमान जयंती औरदीपावली जैसे पर्वों पर यहाँ विशेष भीड़ होती है।