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गरीबों को मिलेगा मुफ्त भोजन और सारी सुख-सुविधाएं, श्रद्धालुओं के लिए बना भव्य यदाद्री मंदिर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 01 Apr, 2022 12:28 PM
गरीबों को मिलेगा मुफ्त भोजन और सारी सुख-सुविधाएं, श्रद्धालुओं के लिए बना भव्य यदाद्री मंदिर

साल 2014 में जब आंध्र प्रदेश तेलांगना से अलग हुआ था तो यहां पर मंदिरोंं की कमी थी। जैसे आंध्र प्रदेश में तिरुपती बालाजी का एक भव्य मंदिर है वैसे ही  तेलांगना की पौराणिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यदाद्री लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर बनाने का ऐलान किया था जिसे 2016 में मंजूरी मिली थी। इस मंदिर को भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। तो चलिए आपको बताते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ अनोखी बातें... 

स्कंद पुराण में मिलता है इसका उल्लेख

इस मंदिर की चर्चा हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक स्कंद पुराण में मिलती है। इसकी सुंदरता और भव्यता का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि हजारों साल पुराना ये मंदिर पहले 900 एकड़ में था और अब इसे 1900 एकड़ की जमीन पर बनाया गया है। इस मंदिर में 39 किलो सोना और 1753 टन चांदी का इस्तेमाल किया गया है। अभी इसकी योजना पर काम चल रहा है परंतु यह भव्य मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया गया है।

मंदिर का निर्माण कैसे हुआ?

गौरतलब है कि अयोध्या में बने राम मंदिर में सरकार ने 1100 करोड़ रुपये खर्च कर रही है जबकि तेलांगना सरकार लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर पर 1200 करोड़ रुपये का खर्चा किया गया है। खबरों की मानें तो अबतक मंदिर पर 1000 करोड़ रुपये का खर्चा हो चुका है। निर्माण पूरे शास्त्रों के तरीके से किया गया है। काफी मजबूत तरीके से मंदिर को बनाया जा रहा है और बताया जा रहा है कि 1 हजार साल तक इस मंदिर को कुछ भी नहीं होगा। इसकी खूबसूरती किसी भी राजा महाराजा के महलों को पीछे छोड़ दे। इस मंदिर की परिकल्पना हैदराबाद के मशहूर आर्किटेक्ट आनंद साई ने की है।

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स्वंय हनुमान है मंदिर के रक्षक

मंदिर के मुख्य द्वार पर हनुमान की प्रतिमा लगाई गई है। जिसकी वजह से उन्हें मंदिर का रक्षक माना गया है। मंदिर के भव्यता का अंदाजा आप बाहर खड़ी प्रतिमा से भी लगा सकते हैं।

मंदिर में कैसे किए गए हैं इंतजाम

12 फुट ऊंची और 30 फुट लंबी गुफा में स्थापित यह सुंदर और भव्य  मंदिर 510 फुट की ऊंचाई पर यदाद्रीगुट्टा पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर के निमार्ण के लिए ब्लैक ग्रेनाइट का पत्थर इस्तेमाल किया गया है। जिसके कारण गर्मी में ठंड और ठंड में गर्मी का एहसास होगा। मंदिर में प्रवेश करने के लिए 6 द्वार बनाए गए हैं और हर किसी द्वार पर सोने का कलश स्थापित किया गया है। इसके निमार्ण में सीमेंट का नहीं बल्कि चूने का प्रयोग किया गया है।

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पर्यटकों के लिए की गई है सारी सुविधा

यहां पर आने वाले लोगों के लिए अलग-अलग किस्म के गैस्ट हाउस और वीआईपी लोगों के लिए बड़े-बड़े विला भी बनाए गए हैं। गरीबों के लिए मुफ्त भोजन और सारी सुख-सुविधाएं भी दी गई हैं।

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