प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को मूड स्विंग, सिरदर्द, मॉर्निंग सिकनेस जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, इस दौरान कमर, पेट और ब्रेस्ट पर दवाब पड़ने के कारण दर्द भी महसूस होता है। कुछ महिलाओं को इस दौरान योनि में दर्द यानि वैजाइना पेन हो सकता है जो प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही या प्रेग्नेंसी आखिरी दिन तक महसूस हो सकता है। चलिए जानते हैं प्रेगनेंसी में योनि दर्द के कारण और इलाज के बारे में।
योनि दर्द और दबाव के बीच अंतर क्या है?
अक्सर महिलाएं दर्द को दबाव समझने की भूल कर देती हैं। मगर, दर्द इतना तेज होता है कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है जबकि दबाव मासिक धर्म में ऐंठन के दौरान होने वाले दर्द के समान होता है और पीठ के निचले हिस्से में भी फैल जाता है। वहीं, मांसपेशियों में खिंचाव, गैस या कब्ज के कारण योनि में ऐसा दर्द होता है जैसे कोई चाकू मार रहा हो। प्रेगनेंसी के 37वें सप्ताह में महिलाएं ऐसा दर्द महसूस कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान योनि या पैल्विक दर्द के कई कारणों से हो सकता है जैसे
. योनि में सूखापन
. ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाना
. फंगल संक्रमण
. गर्भाशय ग्रीवा का फैलाव
. भ्रूण का दबाव
. कुछ मामलों में पेल्विक क्षेत्र में योनि वैरिकोसिटी या बढ़े हुए रक्त वाहिकाओं के कारण भी दर्द हो सकता है।
. इसके अलावा कब्ज और गैस बनना, संभोग, गलत व्यायाम, सोने की खराब मुद्रा या तनाव के कारण भी योनि में दर्द हो सकता है।
वहीं, प्रेगनेंसी के शुरूआती समय में वैजाइना दर्द के साथ ऐंठन, रक्तस्राव महसूस हो तो यह अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic pregnancy) या गर्भपात का संकेत हो सकता है। ऐसे में बिना देरी डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
अगर दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना, रक्तस्राव, दर्दनाक और बार-बार पेशाब आना, बच्चे की हरकतों में बदलाव और चेहरे, हाथों व पैरों में सूजन हो डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
कैसे पाएं दर्द से राहत?
घर पर देखभाल और ध्यान आपको दर्द से कुछ राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
बिना प्रिस्क्रिप्शन के दर्द निवारक दवाएं न लें। दवा की बजाए आप कुछ आसान से नुस्खे अजमाकर दर्द से आराम पा सकते हैं।
. बाईं ओर लेट जाएं क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होगा और वैजाइना दर्द से आराम मिलेगा।
. दबाव और दर्द से राहत पाने के लिए बैठते समय पैरों को ऊंचा रखें। वहीं, कूल्हों को ऊंचा करके लेटने से भी दर्द कम होगा।
. गर्म पानी से नहाने पर आराम मिलेगा। आप चाहे तो पेल्विक मालिश करवाते सकती है लेकिन किसी एक्सपर्ट से।
. डॉक्टर से सलाह लेने के बाद कुछ सरल व्यायाम जैसे योग और तैराकी करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होगा और मांसपेशियां भी मजबूत होगी।
. पेल्विक एक्सरसाइज जैसे पेल्विक रोल और टिल्ट भी मदद कर सकते हैं।
. . इस दौरान एक्टिव रहना सबसे जरूरी है। इसके अलावा पेट, पीठ के निचले हिस्से, वैजाइना और कूल्हों को सहारा देने के लिए सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल करें।
. कीगेल एक्सरसाइज से दबाव और दर्द कम होगा। प्रेगनेंसी में कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें।
जरूरी बातें
. दर्द का असर जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों पर पड़ सकता है।
. पैदल चलना, उबड़-खाबड़ रास्तों पर गाड़ी चलाना और सीढ़ियां चढ़ना दर्द को बढ़ा सकता है।