एस्ट्रोजन (Estrogen) पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही पाया जाने वाला हार्मोन है लेकिन महिलाओं की इसकी जरूरत ज्यादा होती है। यह हार्मोन पीरियड्स के साथ-साथ प्रेगनेंसी से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कमी से महिलाएं को अनियमित पीरियड्स, इनफर्टिलिटी, थकावट, सिरदर्द जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती है। वहीं, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में इसकी मात्रा कम हो जाती है इसलिए शरीर में इसकी कमी पूरी करना और भी जरूरी है।
कितनी मात्रा होनी जरूरी
एस्ट्रोजन हार्मोन तीन तरह के होते हैं। पहला एस्ट्रोन (E1) , जिसका उत्पादन मेनोपॉज के दौरान होता है। दूसरा, एस्ट्राडियोल (E2), जिसका अधिकतर हिस्सा अंडाशय में बनता है। यह हार्मोन एनर्जी, नींद, मूड़ जैसी चीजों के लिए जरूरी है। तीसरा एस्ट्रिऑल (E3), जो लिवर और ब्रेस्ट कोशिकाओं में बनता है। आमतौर पर शरीर में 90% एस्ट्रिऑल, 7% एस्ट्राडियोल और 3% एस्ट्रोन होना जरूरी है।
एस्ट्रोजन की कमी का कारण
एनोरेक्सिया यानि ईटिंग डिसऑर्डर के अलावा थाइराइड से जूझ रही महिलाओं में इसकी कमी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। इसके अलावा एस्ट्रोजन हार्मोन्स कम होने के कारण...
. पारिवारिक हिस्ट्री
. ओवरीज में कोई भी प्रॉब्लम
. प्री-मैच्योर ऑवेरियन फेलियर
. हद से ज्यादा एक्सराइज करना
. कीमोथेरेपी सेशन लेना
. टर्नर सिंड्रोम (इससे ज्यादातर छोटी लड़कियां ग्रस्त होती हैं)
. क्रोनिक किडनी डिजीज
. पिट्यूटरी ग्रंथि की कार्यप्रणाली धीरे होना है।
ऐसे पहचाने कि शरीर में हो रहा है कमी...
. जब पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग हो
. अनियमित पीरियड्स
. अचानक भूख कम हो जाना
. नींद ना आना और बैचेनी महसूस होना
. मानसिक तनाव, डिप्रेशन में रहना
. अचानक वजन बढ़ना
. हड्डियों में दर्द व कमजोरी रहना
. बालों का झड़ना
प्रेगनेंसी में आती है दिक्कतें
एस्ट्रोजन की कमी की वजह से ओव्यूलेशन सर्कल खराब हो जाता है, जिससे महिलाओं को कंसीव करने में दिक्कत होताी है।
यूटीआई (UTI)
इसकी कमी से यूरिन पाइप में मौजूद टिश्यू पतले हो जाते हैं और उनका विकास रूक जाता है, जिसकी वजह से यूटीआई इंफैक्शन और वैजाइना में ड्राईनेस की समस्या हो सकती है।
कैंसर का खतरा
एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल खराब होने पर महिला और पुरूष में कैंसर का खतरा भी रहता है। खासकर इसकी कमी से महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
चेहरे पर भी दिखता है असर
सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि एस्ट्रोजन की कमी का असर चेहरे पर भी दिखता है क्योंकि इसमें गड़बड़ी के कारण मुहांसे, झुर्रिया, त्वचा में ढीलापन, झाइयां जैसे परेशानियां होने लगती है।
एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ाने के उपाय
हैल्दी डाइट लें
शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन को बैलेंस रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आप संतुलित डाइट लें। इसके लिए सोया मिल्क, खजूर, खुबानी, पिस्ता, अखरोट, काबुली चने, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, मूंगफली, अलसी के बीज, सोयाबीन, तिल के बीज और रेड वाइन आदि खाएं।
खूब पीए पानी और हर्बल टी लें
शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं। साथ ही डाइट में रेड क्लोवर लाल, थाइम और वर्बेना जैसी हर्बल शामिल करें।
एक्सरसाइज व भरपूर नींद
रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज व योग जरूर करें। साथ ही 7-8 घंटे की नींद जरूर लें क्योंकि अनिद्रा के कारण भी हार्मोन असंतुलन होता है।
थेरेपी भी आएगी काम
डाइट और दवा के अलावा आप एस्ट्रोजन और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सहारा ले सकते हैं। एस्ट्रोजन थेरेपी मेनोपॉज के लक्षणों को कम करती है। कुछ मामलों में एस्ट्रोजेन थेरेपी 1-2 साल तक ही की जाती है क्योंकि इससे कैंसर का जोखिम रहता है। वहीं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के जरिए एस्ट्रोजन को सही तरीके से शरीर में पहुंचाया जाता है।