लाल शादी का जोड़ा, चूड़ा और कलीरें भारतीय दुल्हन की खास पहचान होती है। बात अगर कलीरों की करें तो मार्केट में फ्लोरल, गोट्टा, सलोगन, पॉम-पॉम, पीकॉक, डोली, मोटिफ, फोटो फ्रेंम कलीरों कई वैरायटीज देखने को मिल जाती है। दुल्हनें अपनी लहंगे के साथ मैचिंग व पसंद के हिसाब से कलीरें चुनती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलीरें क्यों पहने जाते हैं और इसका महत्व क्या है। चलिए आप हम आपको बताते हैं कि दुल्हनें क्यों पहनती हैं कलीरें...
दुल्हन की सहेलियां पहनाती हैं कलीरें
चूड़ा पहनने की रस्म के बाद दुल्हन को कलीरें पहनाएं जाते हैं, जो खासतौर पर उसकी सहेलियां , बहनें या अविवाहित लड़कियां लाती हैं। शादी के बाद दुल्हनें सहेलियों के सिर पर कलीरें झटकती है। मान्यता है कि जिस लड़की के सिर पर कलीरें गिरेंगे उसकी शादी जल्दी हो जाएगी। हालांकि पहले सिर्फ पंजाबी दुल्हनें ही चूड़ा व कलीरें पहनती थी लेकिन आजकल यह हर दुल्हन की पसंद बन चुके हैं।
दुल्हन क्यों पहनती हैं हाथों में चूड़ा?
चूड़ा लड़की के शादीशुदा होने का ही नहीं बल्कि प्रजनन और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। इसके अलाव दुल्हन को चूड़ा पति की भलाई के लिए भी पहनाया जाता है। खास बात ये है कि दुल्हन को चूड़ा तब तक नहीं दिखाया जाता जब तक वह इसे पहनकर मंडप में ना बैठ जाए। वैसे तो दुल्हन का मामा ही उसके लिए चूड़ा खरीदकर लाता है लेकिन आजकल की लड़कियां अपनी पसंद से देख-परख कर ही चूड़ा खरीदती हैं।
कितने समय तक पहना जाता है चूड़ा?
रिवाज के हिसाब से दुल्हन करीब 1 साल तक चूड़ा पहनती है लेकिन समय के साथ वर्किंग दुल्हन 40 दिन, 6 महीने चूड़ा वियर करती हैं। वहीं, चूड़ा पहनने की कई शौकीन लड़कियां 6 महीने बाद इसे बदल भी लेती हैं।
ऐसे पहनाया जाता है दुल्हन को चूड़ा?
चूड़ा पहनने की वजह ही नहीं बल्कि इसकी रस्म भी बहुत दिलचस्प होती है। दुल्हन को चूड़ा पहनने से एक रात पहले उसे दूध में भिगोया जाता है। हालांकि कई बाद चूड़ा पहनने से कुछ समय पहले भी ऐसा किया जाता है। इसके बाद मामा लड़की के हाथों में चूड़ा पहनाता है और लड़की की मां दुल्हन की आंखें बंद कर देती है, ताकि वो उसे देख ना पाएं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि चूड़े को खुद की ही नजर ना लग जाए।
चूड़ा उतारने की रस्म भी होती है खास
चूड़ा उतारने की रस्म भी काफी मजेदार होती है। कई लोग तो इसके लिए भी घर में छोटा-सा फंक्शन रखते हैं और दुल्हन को शुगन व मिठाई दी जाती है। पहले के समय में चूड़ा उतारने की रस्म नदी किनारे की जाती थी। तब चूड़ा उतारकर दुल्हन को कांच की चूड़ियां पहनाई जाती थी और चूड़े को पानी में बहा दिया जाया था। मगर, समय के साथ रस्म बदलती गई और अब लोग अपनी सुविधा अनुसार की रस्म करते हैं।
दुल्हन के हाथों में चूड़ा और कलीरे पहनने की रस्म जितनी खूबसूरत होती है, उतने ही सुदंर होते हैं इनके डिजाइन्स। शादी में चूड़ा व कलीरे पहनने का क्रेज इस कदर बढ़ गया है कि मार्केट में इसकी ढेरों वैराइटीज देखने को मिलती है।