मां बनने का एहसास हर औरत के लिए खास होता है। फिर वो कोई आम महिला हो या सेलिब्रिटी। जब वह प्रेग्नेंसी कंसीव करती हैं तो उसी पल से बच्चे के जन्म के बारे में सोचती रहती है लेकिन वह इस असमंजस में भी रहती हैं कि नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी में से कौन सा ऑप्शन चुनें। ऐसा ही ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ भी हुआ था जब उन्होंने आराध्या को जन्म दिया था। ऐश्वर्या को काफी दर्द सहना पड़ा था फिर भी वे सी-सेक्शन के लिए तैयार नहीं थी हालांकि ऐश्वर्या नॉर्मल डिलीवरी चाहती थी जबकि आज काफी महिलाएं ज्यादातर सी-सेक्शन के जरिए बच्चे को जन्म देना चाहती हैं ताकि दर्द से बचा जा सकें।वैसे ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि 35 के बाद नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती जबकि ऐश्वर्या ने खुद 37 साल की उम्र में नॉर्मल डिलीवरी के जरिए बेटी को जन्म दिया हालांकि डाक्टर्स ने उन्हें सर्जरी की सलाह दी थी लेकिन ऐश्वर्या ने नॉर्मल डिलीवरी के फायदे देखते हुए ही यह फैसला लिया था।
सिजेरियन के बाद क्या अगला बच्चा हो सकता है नॉर्मल डिलीवरी से?
इसी के साथ बहुत सी महिलाओं की पहली बार सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी होती है हालांकि वह अगला बच्चा नार्मल डिलीवरी से चाहती हैं। ऐसे में वह सोचती हैं कि क्या ऐसा हो सकता है तो बता दें कि सी-सेक्शन के बाद नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है लेकिन ये कई कारकों पर निर्भर करती है। जैसे- सी-सेक्शन के दौरान कितने टांके लगे थे, कितनी बार सी-सेक्शन हो चुका है, किसी तरह की कोई मेडिकल कंडिशन है या नहीं आदि लेकिन ये नामुमकिन नहीं है। सी-सेक्शन के बाद भी नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। सिजेरियिन के बाद नॉर्मल डिलीवरी को 'वजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन' कहते हैं। सिजेरियन के बाद 10 में से 7 महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी सफल होती है लेकिन इसकी संभावना के बारे में आपको अपने डाक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।
.अगर गर्भ में एक शिशु है तो सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी करवाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर महिला को हाई वर्टिकल यूट्राइन टांके लगे हैं, यूट्राइन रप्चर या फिर बच्चेदानी से जुड़ी कोई सर्जरी जैसे रसौली निकालने आदि की सर्जरी हुई है तो नॉर्मल की संभावना कम हो जाती है। वहीं दूसरी बार प्रेग्नेंसी में लेबर पेन लेते समय मुश्किल आए तो भी सिजेरियन का ही सहारा लिया जाता है।
.इसके अलावा जिन महिलाओं को अधिक उम्र में कंसीव हुआ है, प्रेग्नेंसी के 40वां हफ्ता पार हो गया है। बॉडी मास इंडेक्स 40 या उससे अधिक, प्रेग्नैंसी में वजन अधिक होना, प्रीक्लैंप्सिया, पहली सिजेरियन डिलीवरी को कम समय हुआ होना। पहले दो से ज्यादा बार सी-सेक्शन डिलीवरी हो तो नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कम होती हैं। वहीं कोई मेडिकल कंडीशन है तो भी डॉक्टर किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेते।
.हालांकि बता दें कि नॉर्मल डिलीवरी के बाद मां की रिकवरी जल्दी हो जाती है जबकि सी-सेक्शन में टांके लगे होते हैं इसलिए रिकवरी में थोड़ा ज्यादा समय लगता है लेकिन सिजेरियन डिलीवरी करवाने की वजह से मां या बच्चे की सेहत पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता हालांकि मां को खास केयर की जरूरत पड़ती है।
अब तो आप जान गए होंगे, सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी से जुड़ी कुछ खास बातें। ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए जुड़े रहे नारी के साथ।