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इस तरह करें अपने लाडले की देखभाल, हमेशा रहेगा स्वस्थ

  • Edited By neetu,
  • Updated: 06 Feb, 2021 06:37 PM
इस तरह करें अपने लाडले की देखभाल, हमेशा रहेगा स्वस्थ

मां बनना एक खूबसूरत अहसास होता है। मगर यह अपने साथ कई जिम्मेदारियों को भी लेकर आता है। असल में, नवजात शिशु बेहद ही नाजुक होता है। ऐसे में उसकी देखभाल में बहुत सी बातों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। तो चलिए आज हम आपके बेबी केयर से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं...

यूं संभाले शिशु 

नवजात शिशु की हड्डियां बेहद ही कोमल होती है। ऐसे में उसे हमेशा हल्के हाथों व सावधानी से पकड़ना चाहिए। शिशु का अपनी गतिविधि व कंट्रोल ना होने से वह अधिक हिलते हैं। इसलिए उसे हमेशा सिर और गर्दन से पकड़कर सपोर्ट दें। साथ ही उसे गोद में लेकर उसके मूवमेंट के हिसाब से उसे हिलाते रहें। इसके अलावा छोटे बच्चे की इम्यूनिटी स्ट्रांग नहीं होती है। ऐसे में उसे पकड़ने से पहले हाथों को साबुन या सैनेटाइज से साफ करें। ताकि वह किसी भी तरह के संक्रमण की चपेट में ना आए। 

नवजात को जोर से ना हिलाए

एक्सपर्ट्स के अनुसार, नवजात को कभी भी जोर से हिलाना नहीं चाहिए। इससे बच्चे को SIDS (Sudden Infant Death Syndrome) होना का खतरा रहता है। ऐसा करने से शिशु के सिर से खून निकलने व मौत होने की संभावना होती है। इसलिए बच्चे को जोर से हिलाने की गलती ना करें। इसके अलावा उसे नींद से जगाने के लिए बच्चे के पैर को हल्के हाथों से सहलाएं या चिकोटी काटें। 

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स्तनपान करवाते समय रखें ध्यान

नवजात के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार होता है। इससे बच्चे का बेहतर विकास होने के साथ बीमारियों से बचाव रहता है। डिलीवरी के तुरंत बाद मां का दूध बेहद गाढ़ा और पीलेपन वाला होता है, जो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। मगर शिशु के ब्रेस्ट फीडिंग करवाने के लिए मां को सही पोजिशन में बैठना बेहद जरूरी है। इसके लिए मां बच्चे की बाजूओं को उठाकर उसी अच्छे से अपनी गोद में बिठाएं। साथ ही उसे जोर से छाती पर लगाने से बचें। असल में, शिशु दूध पीने के दौरान सिर्फ नाक से सांस लेता है। ऐसे में उसकी नाक कवर होने से उसका दम घुटने से सांस लेने में दिक्कत आ सकती है। 

इस तरह पिलाएं बोतल में दूध 

शिशु को स्तनपान ना करवाने की अवस्था में उसे बेबी फूड खिलाना या दूध पिलाना सही है। मगर इसके लिए इस बात का ध्यान रखें कि दूध के डिब्बे में लिखे निर्दश के हिसाब से ही पाउडर मिलाकर दूध बनाएं। साथ ही दूध की बोतल में हर बार इस्तेमाल करने से पहले गर्म पानी से धोकर साफ करें। इसके अलावा आप शिशु के लिए 2-3 बोतल भी रख सकती है। शिशु को हर बार ताजा दूध पिलाएं। बोतल में बचे दूध को फ्रीज में स्टोर कर दोबारा वहीं दूध उसे पिलाने की गलती ना करें। इससे बेबी बीमार हो सकता है। छोटे बच्चे को 2-3 घंटे में भूख लग जाती है। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें। साथ ही दूध की बोतल सीधे नवजात के मुंह डालने से पहले अपने हाथ पर थोड़ा दूध डालकर उसका तापमान चैक करें। इसके अलावा दूध की बोतल को 45 डिग्री के कोण में रखत् हुए उसे दूध पिलाएं। 

बच्चे को सुलाने का सही तरीका

नवजात को हमेशा कोमल व गर्म कपड़े से कवर करें। ताकि उसे ठंड ना लगे। 2 महीने तक के शिशु को अधिक कपड़े पहनाने की जगह कपड़ों से लपेंटे। नहीं तो सोते समय ज्यादा गर्मी होने पर उसके दिमाग पर असर हो सकता है। नवजात एक दिन में 16 से 20 घंटे तक सोता है। इससे उसका शारीरिक विकास बेहतर होता है। ऐसे में उसके सोने के समय ध्यान दें कि कमरे में शोर ना हो। साथ ही उसे नर्म तकिए दें। खासतौर पर बच्चे सुबह के समय सोते और रात को जागते हैं। ऐसे में उन्हें रात को सुलाने के लिए कमरे में अंधेरा या कम रोशनी ही रखें। 

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बच्चे के खाने का रखें ध्यान

6 महीने तक तो बच्चे के लिए मां का दूध बेस्ट होता है। ऐसे में इस दौरान उसे पानी पिलाने की भी गलती ना करें। सातवें महीना का होने पर ही शिशु को ठोस चीजें खिलाएं। मगर उसे कुछ भी खिलाने से वह बीमार हो सकता है। ऐसे में शिशु को उबली सब्जिय, मैश्ड केला और डॉक्टर के कहें अनुसार चीजों खिलाएं। इसके अलावा स्तनपान करवाने वाली मां को भी अपनी डाइट में हैल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए। ताकि बच्चे को सही पोषण मिल सके। इसके लिए मां को दाल, ताजे फल, सब्जियां, दलिया आदि का अधिक सेवन करना चाहिए। 

इन परिस्थितियों में डॉक्टर की सलाह लें

अगर बच्चा अधिक दूध पी रहा हो और दिन में 4 बार से अधिक डायपर गीला करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। असल में, इसके पीछे का कारण शिशु का पेट खराब होना हो सकता है। इसके साथ नवजात को निमोनिया होने का खतरा रहता है। ऐसे में अलग वह चिड़ाचिड़ापन महसूस करता है या अधिक रोता है तो बिना देरी लगाएं डॉक्टर की सलाह लें। 

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