हमारे समाज में आज भी कई जगहों पर बेटियों को बेटों से ज्यादा त्वज्जों नहीं दी जाती जिसके चलते कहीं ना कहीं उनका विश्वास ढगमगाया रहता है जो आगे चलकर उसे कमजोर ही बनाता है। वहीं बचपन में ही उसके साथ कुछ इस तरह के वाक्ये भी हो सकते हैं जो उसमें आत्मविश्वास की कमी करते हैं। अगर घर वाले शुरू से कुछ बातों का ध्यान रखें तो बेटी का आत्म-विश्वास कभी ढगमगाएगा नहीं। अगर आप भी एक बेटी की मां है तो उसे आज से ही सही गलत के बारे में बताना शुरू कर दें।
घर का माहौल रखें सही
घर का माहौल सही रखें। यह बेटा हो या बेटी, दोनों के अच्छे और बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है। घर में बेटी और बेटे को सामान अधिकार दें। उसे बचपन से ही इस बात का अहसास ना होने दे कि उन्हें अपने भाई से कम माना जाता है या घर में उनसे ज्यादा भाई की अहमियत है।
खुद लेने दें फैसले
बचपन में जो परवरिश होती है वह बच्चों के दिमाग में बस जाती है। यदि आप बचपन से ही अपने बेटी के फैसलों पर आपत्ति जताएंगी तो उसका आत्मविश्वास कम होने लगेगा और वक्त के साथ वह बड़े निर्णय लेने से भी डरेगी। ऐसे में आपका बचपन से ही अपनी बेटी का हौंसला बढ़ाएं और यदि वह कोई निर्णय लेती है तो उसका साथ दें। यदि आपको लगता है कि बेटी ने जो निर्णय लिया है वो सही नहीं है तो आप उसे प्यार से समझाएं। ऐसा करने से भी बेटी का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
बेटी की करें तारीफ
तारीफ करने से बच्चों का कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है। खासकर बेटियां, मां के क्लॉज होती हैं। मां जो भी काम करती है, बेटी उसे कॉपी जरूर करती हैं जैसे घर के छोटे-छोटे काम। अगर आपकी बेटी भी आपके साथ हाथ बंटाती हैं या पढ़ाई से जुड़ा अच्छा काम करती हैं तो उसकी तारीफ करना ना भूलें। आपकी तारीफ उसे आगे और अच्छा काम करने में प्रोत्साहित करेगी।
सही और गलत बताएं
बच्चा अगर गलती करें तो उसे डांटने व चिल्लाने की बजाए प्यार से समझाने की कोशिश करें। वहीं बेटी को बचपन से ही गुड टच और बेड टच के बारे में बताएं क्योंकि कई बार ये बाते बेटी और बेटे दोनों को अंदर से इतना डरा देती हैं कि वह जीवनभर अपना कॉन्फिडेंस बढ़ा नहीं पाते। लड़कियों के साथ ऐसे बहुत सारे केसेज सामने आते हैं। ऐसे मामलों में बेटियां डर जाती हैं और मां-पिता से भी अपने साथ होने वाले व्यवहार को छिपा लेती हैं। इसलिए उसे पहले से ही इस बारे में समझाएं। सही गलत का फर्क बताएं।