महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में48 घंटे में हुई 31 मरीजों की मौत का कारण अभी तक साफ नहीं हुआ है। इतने लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है यह सवाल हर किसी के मन में है। जहां एक तरफ आरोप है कि चिकित्सकों की लापरवाही के कारण ये सब हुआ तो वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के बाहर से ऐसी तस्वीरें सामने आई है, जिससे देखकर हर कोई हैरान है।
अस्पताल में 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 12 शिशुओं सहित 24 मरीजों की मौत दर्ज की गई थी। एक और दो अक्टूबर के बीच सात और मरीजों की मौत हुई थी। मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र के नांदेड़ एवं छत्रपति संभाजीनगर जिलों के दो सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत के मामले में प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब किया है।
इसी बीच एनडीटीवी चैनल ने कुछ तस्वीरें शेयर की है, जिसमें देख सकते हैं मरीजाें के रिश्तेदार अस्पताल परिसर की बदबूदार नालियों के बीच ब्रश कर रहे हैं और बर्तन धो रहे हैं तो वहीं आसपास सूअर टहल रहे हैं। इतना ही नहीं डॉ शंकरराव चव्हाण राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की नालियां प्लास्टिक को बोतलों और रैपरों से अटी पड़ी दिखाई दे रही है।
एनडीटीवी के साथ बातचीत में मरीजों के परिवार वालों ने बताया कि- हम शौचालय का उपयोग नहीं कर सकते। हमें यहां कुछ नहीं मिलता। हमें दवाएं, पानी और बाकी सभी जरूरी चीजों के लिए बाहर जाना पड़ता है। बताया जा रहा है कि अस्पताल में पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं और एक कर्मचारी को कई वार्डों का काम सौंपा गया है। यहां हर दिन सूअर घूमते हैं। वे कूड़ा खाते हैं।
वहीं इससे पहले अपने बच्चे को खो चुके पिता ने बताया कि- ‘‘मेरे बच्चे का वजन कम नहीं था और वह बिल्कुल ठीक था...पता नहीं मेरे बच्चे को क्या हुआ। मैंने अपना बच्चा खो दिया, ऑपरेशन के कारण मेरी पत्नी के स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव पड़ा है। मैंने अपना सब कुछ खो दिया।'' उन्होंने सवाल किया कि- 12 बच्चे (अस्पताल में एक दिन में) कैसे मर सकते हैं? उन्होंने दावा किया, ‘‘यह तभी संभव है जब मशीनें काम नहीं कर रही हों और चिकित्सक लापरवाही बरत रहे हों।''
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा था कि नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत के कारणों की जांच की जाएगी। उन्होंने भारोसा दिलाया था कि अगले 15 दिनों में अस्पताल में हालात बेहतर हो जाएंगे। मुश्रीफ ने यह भी कहा था कि अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है और अगर मौतें किसी की लापरवाही के कारण हुई हैं, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।