सभी लोगों के अपने- अपने शौक होते हैं , किसी को खाना बनाना तो किसी को खाना खाने का शौक होता है। वो जमाना और था जब खाना बनाने का काम सिर्फ महिलाएं ही करती थी,अब तो पुरुष भी कुकिंग, बेकिंग और लजीज खाना बनाने की रेस में बहुत आगे चल रहे हैं। कोरोना के बाद से तो लोगों में नई से नई Dishes बनाने का क्रेज चढ़ा था, ऐसे लोगों का प्रोत्साहन बढ़ान के लिए होम शेफीज पावर ब्रांड अवार्ड्स की पहल की गई है। अब तक के पहले होम शेफीज पावर ब्रांड अवार्ड्स ने पूरे भारत के 40 शहरों में होम शेफ्स की विशिष्टता का जश्न मनाया है।
कोविड के दौरान लोगों ने पहचाना अपना हुनर
COVID-19 ने 2020 में हमारे घरों पर आक्रमण किया है, जिसके चलते लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे। बहुत से लोगों ने अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या से हटकर घर में कुछ नया करने की सोची। इन घरेलू रसोइयों के प्रयासों की सराहना करने, उनकी रचनात्मकता का जश्न मनाने, उनके खाने को दुनिया से मिलवाने के लिए होम शेफीज़ पावर ब्रांड्स अवार्ड्स को लाया गया। दरअसल काेरोना के बाद देखते ही देखते घर में बने खाने की मांग बढ़ गई। रेस्तरां द्वारा फिर से डिलीवरी शुरू करने के बाद भी लोग 'आरामदायक' भोजन चाहते रहे, जो कि होम-बेस्ड शेफ ने तैयार किया हो। घर के रसोइयों को भी अपनी ताकत का एहसास होने लगा था। ऐसे में देश भर से 16 से 65 वर्ष की आयु के कई होम शेफ ने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी किस्मत अजमाई।
पति-पत्नी की जोड़ी ने किया कमाल
2020 में महिलाओं ने बड़े आकार के व्यवसाय शुरू कर दिए और अपने काम के माध्यम से अपने परिवार का समर्थन करना शुरू कर दिया। पति-पत्नी की जोड़ी द माथुर द्वारा संचालित दिल्ली स्थित बागीची में ने सर्वश्रेष्ठ स्वर्ण युग ब्रांड का पुरस्कार जीता था। माथुर कहती हैं- “आपको यह व्यंजन रेस्तरां, होटलों या अन्य जगहों पर नहीं मिलेगा, हम सिर्फ अपने खुद के भोजन का प्रचार कर रहे हैं और बहुत सारी सकारात्मक समीक्षा प्राप्त कर रहे हैं।" वह कहती हैं कि वे कुछ समय से भोजन से संबंधित व्यवसाय शुरू करना चाहते थे। “हमने थोड़ी और पहचान हासिल करने के लिए प्रतियोगिता में भाग लिया, ऐसे कार्यक्रम हमारे ब्रांड को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।” माथुर कहते हैं, "यह खुद को बाज़ार से परिचित कराने का एक अवसर था!" उनका यह भी कहना है कि ये अवसर उन्हें प्रेरित करते रहते हैं।
16 साल की बच्ची को मिला सम्मान
16 साल की बच्ची रेने तेजानी को भी इस आवार्ड से सम्मानित किया गया। वह 12 साल से अपने घर की रसोई में chocolate-chip cookies जैसी कई लुभावनी चीजें बना रही है। वे कहती हैं- “मेरी चाची ने मुझे प्रतियोगिता के बारे में बताया था। हमने कुछ श्रेणियों के तहत आवेदन करने का फैसला किया, और जल्द ही, मुझे पुरस्कारों के लिए जूम कॉल में भाग लेने के लिए कहा गया। यह अप्रत्याशित था क्योंकि हमने दो श्रेणियों में जीत हासिल की: सर्वश्रेष्ठ सोशल मीडिया ब्रांड और सर्वश्रेष्ठ अगली पीढ़ी का ब्रांड। मैं अपनी उम्र के कारण इस तरह की प्रतियोगिताओं में कभी भाग नहीं ले पाती थी , लेकिन इस बार मुझे मौका मिला! यह वास्तव में प्रेरक है और यह मुझे आगे बढ़ाता है"।
वरुण तरियाल के हाथों में है जादू
वरुण तरियाल सर्वश्रेष्ठ पैकेजिंग ब्रांड श्रेणी के विजेता ला अमिस्ताद पैटिसरी के संस्थापक हैं। उनका जालंधर स्थित व्यवसाय फ्रेंच में हर चीज में माहिर है। उनका इंस्टाग्राम फीड टैट्स, क्रोइसैन, बैगूएट्स और फ्रेंच प्लैटर से अन्य वर्गीकरणों से भरा हुआ है। अपने जुनून और जोश के साथ उन्होंने इस कला को सीखने में खुद को पूरी तरह से झोंक दिया। समय के साथ वरुण न केवल इसमें निपुण हो गए बल्कि हर स्वाद और इसके पीछे के इतिहास से भी परिचित हो गए। उन्होंने कहा- जालंधर में बहुत सारे संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, यही वजह है कि प्रक्रिया थोड़ी चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन हमने इसे पूरा कर लिया!”