05 DECFRIDAY2025 4:57:41 PM
Nari

"पापा बाहर ठंड है मत जाओ..."  काश बेटी की बात सुन लेता दर्जी तो ना जाती ब्लास्ट में जान, रूला देगी ये कहानी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 16 Nov, 2025 10:05 AM

नारी डेस्क:  मोहम्मद शफी पर्रे शुक्रवार सुबह अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने की उम्मीद में घर से निकले और हाल ही में पकड़े गए एक ‘‘सफेदपोश'' आतंकी मॉड्यूल से जब्त विस्फोटकों के नमूने इकट्ठा करने में पुलिस जांचकर्ताओं की मदद की, लेकिन 47 वर्षीय पर्रे को जरा भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि यह उनका आखिरी दिन है। नौगाम पुलिस थाने में नमूने एकत्र करने के दौरान हुए विस्फोट में पर्रे समेत नौ लोगों की मौत हो गई। पेशे से दर्जी पर्रे अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं। वह अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। 

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जुमे की नमाज की और फिर लौट गए

वह शुक्रवार सुबह जांचकर्ताओं के साथ शामिल हुए और दिन के अधिकतर समय नौगाम पुलिस स्टेशन में ही रहे। वह जुमे की नमाज और रात के खाने के लिए घर लौटे। शाम को, पर्रे ने सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े पहने और हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक सामग्री के बचे हुए नमूने इकट्ठा करने में जांचकर्ताओं की मदद करने के लिए घर से निकल पड़े। जब वह घर से निकले, तो उनकी पत्नी, बेटी और दो बेटों ने कभी नहीं सोचा था कि वे पर्रे को आखिरी बार देख रहे हैं। उनकी बेटी ने बताया कि  ठंड बहुत ज्यादा थी तो इसलिए उसने अपने अब्बू से कहा कि अब इस समय मत जाइए। लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें काम पूरा करने के लिए थाने वापस जाना है। उन्होंने कहा कि मैं काम खत्म करके जल्दी वापस आ जाऊंगा।


पूरा परिवार सदमे में

पर्रे के पड़ोसियों ने बताया कि जब परिवार ने विस्फोट के तुरंत बाद उनके बारे में पूछताछ की, तो पुलिस ने उन्हें बताया कि दर्जी को विस्फोट में चोटें आई हैं। हालांकि, शनिवार तड़के, पुलिस ने परिवार को बताया कि पर्रे की चोटों के कारण मृत्यु हो गई है, और उनसे शव की पहचान करने को कहा। जैसे ही पर्रे की मौत की खबर फैली, रिश्तेदार और स्थानीय लोग उनके घर पर जमा हो गए, जहां से दूर-दूर तक रोने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। परिवार के साथ ही मौजूद लोगों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। पर्रे की मौत से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा मोहल्ला गहरे सदमे में है। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने पर्रे को एक चरित्रवान व्यक्ति के रूप में याद किया।

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परिवार में अकेले कमाने वाले थे पर्रे 

 स्थानीय लोगों ने बताया कि पर्रे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले था। वह नजदीकी वानाबल चौक स्थित अपनी दुकान से जो भी कमाते थे, उसी से परिवार गुजारा करता था। इस घटना को याद करते हुए, पास में रहने वाले जौहर अहमद वानी ने बताया कि शुक्रवार रात धमाके की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोग जाग गए थे। वानी ने कहा- ‘‘हमारे घर की कुछ खिड़कियों के शीशे भी टूट गए, जबकि हम विस्फोट स्थल से लगभग 1,000-1,200 मीटर दूर रहते हैं। हम बाहर जाकर पता करने लगे और हमें पुलिस थाने में हुए विस्फोट के बारे में पता चला।'' उन्होंने कहा- ‘‘हम सरकार, खासकर उपराज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वे परिवार के लिए कुछ करें ताकि वह अपना गुजारा कर सके। सरकार को उनके बेटे को नौकरी देनी चाहिए।'' 

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