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NFHS 5: फैमिली प्लानिंग में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भागीदरी, जानिए क्या कहता है शोध

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 Feb, 2021 02:10 PM
NFHS 5: फैमिली प्लानिंग में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भागीदरी, जानिए क्या कहता है शोध

परिवार नियोजन का फैसला लेने की आजादी पूरी तरह से महिलाओं के हाथों में देनी होगी... ऐसा हम नहीं बल्कि हाल ही में हुए सर्वे का कहना है। दरअसल, सरकार द्वारा चलाई जा रही "हम दो हमारे दो" फैमिली प्लानिंग योजना को लेकर हाल ही में एक सर्वे किया गया। इसमें सामने आया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं फैमिली प्लानिंग के उपाय अपनाने में ज्यादा आगे हैं। यह योजना सिर्फ बढ़ती जनसंख्या कम करने के लिए ही नहीं बल्कि हेल्थ व वेल्थ बढ़ाने के लिए चलाई जा रही है लेकिन बावजूद इसके पुरुषों को भागीदारी इसमें कम है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

शोध की मानें तो भारत में 136,881,000 करोड़ महिलाएं ही फैमिली प्लानिंग का ऑप्शन चूज करती हैं जबकि पुरुष नसबंदी का ग्राफ अभी भी काफी नीचे है। फैम‍िली प्‍लान‍िंग के कारण साल 2019 में 53,354,000 अबॉर्शन, 1,787,000 अनसेफ अबॉर्शन और  22,000 मैटरनल मौतों को रोकने में कामयाबी मिली है। ऐसे में एक्सपर्ट का मानना है कि महिलाओं को इसके बारे में अधिक जागरुक करना चाहिए ताकि उन्हें मौत से बचाया जा सके। खासकर गांव या पिछड़े क्षेत्र की महिलाओं को इसकी अधिक जानकारी देनी चाहिए जो अबॉर्शन के लिए जानलेवा टोटके अपनाने लगती हैं।

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गर्भनिरोधक के यूज से मिलेगी आर्थिक मजबूती

कॉन्‍ट्रासेप्‍शन पिल्स और नसबंदी से ना सिर्फ महिलाएं अनचाही प्रेगनेंसी से बच सकेंगी बल्कि इससे वो रोजगार के नए अवसर भी खोज पाएंगी। इसके अलावा दो बच्चों के बीच का गैस, जन्म स्थान और कंसीव करने का फैसला लेने की आजादी भी महिलाओं को ही दी जानी चाहिए। इससे मॉर्टेल‍िटी या र‍िप्रोडक्‍शन रेट, अनसेफ अबॉर्शन और HIV के मामलों में कमी आएगी।

कम उम्र में मां बनने की समस्‍या से न‍िजात

कम उम्र में मां बनने से प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा रहता है। ऐसे में फैमिली प्लानिंग से इसका जोखिम भी कम होगा, जिसका असर काफी हद तक देश के मानव संसाधन पर भी पड़ेगा।

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दो बच्चों में कम अंतराल की समस्या सुधरी

साल 1952 में भारत में फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम शुरी किया गया था, जिसके बाद से ही इस नीति में कई बदलाव हो चुके हैं।  मेघालय और म‍िजोराम के अलावा बाकी देशों में इसका दर 10% कम हुई है जबकि बिहार में भी फैमिली प्लानिंग के यूज में बढ़ देखी गई। 2019-2020 के आंकड़ों के मुताबिक, दो बच्चों के बीच के गैप में काफी फर्क देखा गया है।

3-10 साल तक नहीं होगी अनचाहे गर्भ की फिक्र

अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां, नसबंदी के अलावा पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपी आईयूसीडी) भी फायदेमंद है। यह पहली डिलीवरी के 48 घंटों के अंदर लगाई जाती है, जिसे कंसीव करने से पहले आसानी से निकाला जा सकता है। यह 5-10 साल तक अनचाहे गर्भ को रोकती है।

. वहीं,  'अंतरा' एक गर्भनिरोधक इंजेक्शन है, जो दो बच्चों के बीच गर्भ में अंतर रखने के लिए लगवाया जाता है। एक साल में इसके कुछ 4 डोज दिए जाते हैं, जो 3 महाने के अंतराल में लेना होता है। यह अनचाहे गर्भ को रोकने में 99.7% तक प्रभावी है।

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फैम‍िली प्‍लान‍िंग से जुड़े बड़े फायदे

1. इससे समाज का नजरिया बदलने में मदद मिलेगी और पारिवारिक मामलों में निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
2. आज भी अनचाहे गर्भ के कारण बहुत-सी लड़कियां अपनी पढ़ाई पूरी कर नहीं पाती, खासकर गांव में। ऐसे में लड़कियों को शिक्षित करने में फैमिली प्लानिंग से काफी मदद मिलेगी।
3. फैम‍िली प्‍लान‍िंग से मांएं अपने बच्‍चों के ल‍िए सेहत भरा पोषण खुद तय कर पाएंगी। इससे प्रीमैच्योर प्रेगनेंसी, अनचाहे अबॉर्शन, बच्चों को होने वाली समस्याओं का खतरा भी कम होगा।
4. एडवांस फैम‍िली प्‍लान‍िंग-2020 के लक्ष्‍य में सेवाओं का दायरा, गर्भन‍िरोधक के व‍िकल्‍पों की रेंज, न्‍यूबॉर्न, एडोलेसेंस हेल्‍थ, मां का स्‍वास्‍थ्‍य को शाम‍िल क‍िया गया जाएगा। इससे मह‍िलाओं को सोशल व फाइनेंशल स्तर तक मदद मिलेगा और पॉपुलेशन भी कंट्रोल होगी।

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जच्‍चा-बच्‍चा के सेहत के लिए फैमिली प्लानिंग बहुत जरूरी है इसलिए हर डर को छोड़कर पति-पत्‍नी म‍िलकर इन साधनों को अपनाएं। 

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