हिंदू धर्म में हर किसी भगवान को बहुत ही माना जाता है। हर किसी व्यक्ति का अपने ईष्ट पर विश्वास है। ऐसे ही बहुत से लोगों की श्री सत्य साईं बाबा में बहुत ही गहरी आस्था है। सत्य साई बाबा के द्वारा किए गए चमत्कार आज भी लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं। बड़े राजनेताओं से लेकर बॉलीवुड और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी भी बाबा के बहुत ही गहरे भक्त हैं। आइए आपको श्री सत्य साई बाबा के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताते हैं...
पुट्टापर्थी गांव में हुआ था बाबा का जन्म
श्री सत्य साई बाबा का नाम रत्नाकरम सत्यानारायण राजू था। उनका जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्रप्रदेश के पुट्टापर्था गांव में भटराजू परिवार में हुआ था। उनका परिवार धार्मिक लोकगीत आदि गाने बजाने वाले समुदाय से संबंधित माना जाता था। वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। बचपन से ही श्री सत्य साई बाबा बहुत असामान्य रुप से बुद्धिमान थे।
14 साल की उम्र में की थी परिवर्तनकारी घटना
माना जाता है कि 13 साल तक श्री सत्य साई बाबा ने एक सामान्य बच्चे की तरह जीवन जिया। लेकिन 8 मार्च 1940 को उनके जीवन में एक ऐसा परिर्वतनकारी दिन आया। उस दौरान वह अपने बड़े भाई शेषमा राजू के उर्वाकोंडा में रह रहे थे। तब तक 14 साल के सत्या के एक बिच्छू ने काट लिया और वह कई घंटों तक मूर्छित हो गए थे। इस घटना के बाद उनका जीवन एकदम बदल गया। वह कभी हंसने लगते तो कभी रोने लगते कभी कुछ बोलने लगते तो कभी शांत हो जाया करते थे। दावा तो यह भी किया जाता था कि वह धाराप्रवाह संस्कृत बोलने लगे थे। जिसके बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था। डॉक्टरों ने उनके बर्ताव को देखकर हिस्टीरिया करार दिया था। सत्य साई बाबा के इस हालत से परेशान होकर उनके माता-पिता उन्हें पुटापर्थी लेकर आ गए। कई पंडितों, डॉक्टरों और ओझाओं को भी उन्हें दिखाया। एक ओझा ने तो उन्हें इलाज के नाम पर प्रताड़ित भी किया था।
23 मई को हुई बाबा के साथ एक और घटना
इसके बाद 23 मई 1940 में बाबा के साथ एक घटना ओर हुई। इस दौरान सत्या ने अपने घर वालों को अपने पास बुलाया और जैसे बताया भी जाता है कि उन्हें चमत्कारिक रुप से हवा से ही प्रसाद और फूल पैदा कर घर वालों को दिया। जिसके बाद उनके पिता उनसे गुस्सा हो गए। उन्हें लगा कि सत्य ने उनपर कोई जादू टोना किया है। उन्होंने एक छड़ी लेकर सत्य को मारने की धमकी देते हुए बोला कि यदि सत्य के अंदर आई हुई आत्मा ने यह नहीं बताया कि वह कौन हैं तो मैं उसकी पिटाई कर दूंगा। इस पर श्री सत्य साई बाबा शांति परंतु दृढ़ता से बोले मैं साई बाबा हूं। उनके कहने का अर्थ था कि वह शिरडी के साई बाबा हैं।
शुरु से ही था अध्यात्म की ओर झुकाव
शुरु से ही श्री सत्य साई बाबा का अध्यात्म की ओर झुकाव था। उन्हें पढ़ाई लिखाई में कोई रुचि नहीं था। वह भक्ति संगीत, नृत्य और नाटक जैसी कलाओं में भी असामान्य रुप से प्रतिभाशाली देखे गए थे। बताया जाता है कि वह बचपन से ही हवा में भोजन और मिठाई पैदा करके चमत्कार दिखाने लगे थे।
शिरडी के बाबा का रुप है सत्य साई बाबा
यह पहली बार था जब सत्य साई बाबा ने स्वंय को शिरडी के साई बाबा के रुप में घोषित किया था। शिरडी के साईं बाबा की छवि 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत के दौर में एक संत के रुप में प्रसिद्ध थे। उनके भक्तों की संख्या आज भी काफी ज्यादा है। शिरडी के साई बाबा महाराष्ट्र सत्य साई बाबा के पैदा होने से आठ साल पहले ही अपना शरीर छोड़ गए थे। इसके बाद सत्य साई बाबा को ही शिरडी के साई बाबा का रुप माना जाता है।