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शनि अमावस्या: इस दिन करें ये महाउपाय, साढे-साती व पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

  • Edited By neetu,
  • Updated: 12 Mar, 2021 10:31 AM
शनि अमावस्या: इस दिन करें ये महाउपाय, साढे-साती व पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

हिंदू धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्था का विशेष महत्व है। इस बार यह 13 मार्च शनिवार के दिन होगी तो इसे शनि या शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जा सकता है। ऐसे में इस दिन न्याय के देवता शनि देव की पूजा व कुछ विशेष उपाय करने से उनकी असीम कृपा पाई जा सकती है।

शनि अमावस्या का महत्व

शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि देव के जुड़े कुछ उपाय करने से कुंडली में अशुभ शनि का असर कम हो सकता है। इसके साथ ही साढे-साती, ढैय्या, कालसर्प योग व पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। ऐसे में जीवन की समस्याओं का अंत होकर खुशियों का आगमन होगा। 

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तो चलिए जानते हैं शनि अमावस्या के दिन किए जानें वाले कुछ खास उपाय

 

बजरंगबली की करें पूजा 

शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। ऐसे में इस दिन हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ करके भगवान जी को मिठाई का भोग लगाएं। इससे बजरंगबली व शनिदेव की कृपा होगी। साथ ही शनिदोष से छुटकारा मिलेगा। 

सरसों तेल से करें उपाय

जिन लोगों की कुंडली में शनिदोष, साढ़े साती, या शनि ढैय्या है तो इस दिन लोहे या स्टील की कटोरी में सरसों तेल डालें। फिर पीपल की जड़ के नीचे जाकर तेल में अपना मुंह देखें। बाद में उसे पेड़ की जड़ पर दबा आए। 

शमी पौधे से मिलेगा लाभ 

घर पर शमी का पौधा लगाकर गमले के चारों ओर काले तिल डालें। फिर सरसों के तेल का दीपक जलाकर पौधे के पास रखकर ' ऊँ शं यो देवि रमिष्ट्य आपो भवन्तु पीतये, शं योरभि स्तवन्तु नः' शनिदेव के इस मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे कार्यों में आने वाली समस्याएं दूर होकर लाभ मिलेगा। 

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शनि स्रोत का करें पाठ 

कुंडली में शनिदोष, साढे साती से परेशान लोग इस दिन शनि स्त्रोत का पाठ करें। 

 पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक 

इस शुभ दिन पर पीपल पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं। फिर कांस्य या तांबे के बर्तन में गंगा जल, काले तिल, दूध डालकर 'ऊं ब्रह्म देवाय नम:' का जाप करते हुए पीपल पेड़ की सात परिक्रमा लें। इसके बाद इसे पेड़ पर चढ़ाकर पीपल पर जनेऊ अर्पित करें। इससे पितृदोष से छुटकारा मिलेगा। 

प्रसाद में चढ़ाएं काली या सफेद चीज 

शनि अमावस्था के दिन काली या सफेद रंग की चीज प्रसाद के तौर पर चढ़ाएं। फिर प्रार्थना करते हुए कहे कि, 'हे ब्रह्म देव, हे शनिदेव, हे पितृ देव अगर हमसे कोई गलती हो गई है तो हमें माफ करें।' हम पर खुश होकर अपना आशीर्वाद दें। 

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नीले रंग का अपराजिता फूल चढ़ाएं

शनिदेव को नीले रंग का अपराजिता फूल बेहद प्रिय है। ऐसे में उन्हें ये फूल अर्पित करें। तिल के तेल में काले रंग की बाती डालकर दीपक जलाएं और तीन माला 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:' मंत्र का जाप करें। इससे कुंडली में शनिदोष से मुक्ति मिलेगी। 
 

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