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सावन शिवरात्रि पर जरूर करें ये पाठ, भोले बाबा प्रसन्न होकर हर मनोकामना करेंगे पूरी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 02 Aug, 2024 10:25 AM
सावन शिवरात्रि पर जरूर करें ये पाठ, भोले बाबा प्रसन्न होकर हर मनोकामना करेंगे पूरी

आज देश भर में सावन की शिवरात्रि मनाई जा रही है। यह भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख पर्व है। शिवरात्रि शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह सावन के महीने में आती है, जो भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसीलिए इसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सही नियमों के साथ श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है।

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इस दिन किया जाता है ये पाठ

रुद्राभिषेक:  रुद्राभिषेक भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें भगवान शिव का अभिषेक (स्नान) किया जाता है।

शिव चालीसा: शिव चालीसा का पाठ भी इस दिन किया जाता है। यह भगवान शिव की महिमा का गान है।

महा मृत्युंजय मंत्र:   - "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥"   - यह मंत्र विशेष रूप से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य के लिए माना जाता है।

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 पाठ करने का नियम

 पूजा स्थल और स्वयं की स्वच्छता का ध्यान रखें। मंत्रों का सही उच्चारण महत्वपूर्ण है नहीं तो लाभ की जगह  नुकसान हो सकता है। पाठ करते समय श्रद्धा और भक्ति का भाव बनाए रखें।

शिवरात्रि में किस तरह करें भोले बाबा को प्रसन्न

 इस दिन व्रत रखना भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।  भगवान शिव का अभिषेक जल, दूध और बेलपत्र से करें। शिवलिंग के सामने धूप और दीप जलाएं। इसके अलावा भोलेनाथ बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल से भी प्रसन्न होते हैं। इस दिन जीतना सभव हो सके ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

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शिवरात्रि व्रत का उद्यापन कैसे करें?

शिव पुराण के अनुसार यदि आप शिवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो नियम और विधि को जान लें। व्यक्ति को 14 वर्षों तक लगातार शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए फिर त्रयोदशी तिथि को दिन में एक बार भोजन करें। चतुर्दशी के दिन यानि शिवरात्रि को निराहार रहकर व्रत को पूरा करें। रात के समय किसी भी शिवालय में गौरीतिलक मंडप बनाए, उसके बीच में लिंग और भद्र मंडन बनाएं। वहां पर प्रजापत्य नामक कलशों की स्थापना करें।
 

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