बॉलीवुड इंडस्ट्री में सब्यसाची मुखर्जी को कौन नहीं जानता। सब्यसाची अपने जबरदस्त काम के चलते काफी चर्चा में बनी ही रहते हैं। हाल ही में मेक ए विश फाउंडेशन के समर्थन से डिज्नी की 100वीं वर्षगांठ के लिए सब्यसाची ने उन्हें नमस्ते मिकी बनाने के लिए प्रेरित किया है। नमस्ते मिकी एक ऐसा मास्टरपीस है जो की भारत की समृद्ध विरासत से मेल खाती है। इस पर बात करते हुए सब्यसाची मुखर्जी ने कहा कि - मैं नमस्ते मिकी के जरिए दो दुनिया को साथ में लाना चाहता हूं। यह इंस्पीरेशन मुझे भारत के छोटी-छोटी पेंटिंग्स, भारत के विरासत और डिज्नी के सबसे फेमस पात्रों में से मिली है।
सब्यसाची आर्ट फाउंडेशन के द्वारा बनाया गया नमस्ते मिक्की
नमस्ते मिक्की को सब्यसाची आर्ट फाउंडेशन द्वारा बनाया गया है और सब्यसाची के एटेलियर के कारीगरों के द्वारा इसकी कढ़ाई की गई है। इस पेटिंग में मिकी माउस को पारंपरिक भारतीय पोशाक और आभूषणों से चित्रित किया गया जो मशहूर ताजा महल की पृष्ठभूमि में है जो उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों और जीवों से घिरा हुआ है। इसके जरिए वह भारतीय विरासत को बढ़ावा देना चाहते हैं।
भारतीय विरासत को बढ़ावा देंगे सब्यसाची
सब्यसाची ने डिज्नी पात्रों के साथ अपने बचपन को जुड़ाव को भी इस दौरान दर्शाया और भारत की रचनात्मक प्रतिभा के प्रतिनिधित्व के रुप में नमस्ते मिकी की कल्पना की। इस कदम के जरिए वह वैश्विक स्तर पर रचनात्मकता और कला के जरिए डिजनी की विरासत को भारत में लाना चाहते हैं। सब्यसाची ने संस्कृति की गतिशील प्रकृति पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह की पहल न केवल डिज्नी की रचनात्कमता का सम्मान करती है बल्कि दुनिया भर में क्रिएटिविटी का भी सम्मान करती है।
2000 के दशक में रेडी टू वियर डिजाइनर के तौर पर काम शुरु किया
एक डिजाइनर के तौर पर सब्यसाची ने अपने A/W 2023 कलेक्शन के साथ कॉउचर और रेडी-टू-वियर के बीच की लाइन को बदल ही दिया है। इस पर बात करते हुए सब्यसाची ने कहा कि मैंने 2000 के दशक की शुरुआत में रेडी टू वियर डिजाइनर के तौर पर शुरुआत की थी, तब मैं न्यूयॉर्क फैशन वीक, मिलान जैसे फैशन शो में ज्यादा एक्टिव था। इन सालों में मैं उन कपड़ों को वापिस लाता रहा जो मैंने उस समय बनाए थे लेकिन पिछले दो सालों में ही मैं रैडी टू वियर के बारे में अपनी सोच को साबित करने में कैपेबल हूं। मेरा मानना है कि आज के ग्राहक कम खरीदना चाहते हैं लेकिन अच्छी चीज खरीदना चाहते हैं ऐसे में मेरा यह संग्रह विरासत गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ आसान ड्रेसिंग की गतिशीलता लाने के बारे में ही है, यह मेरे लिए बहुत ही पर्सनल है जो वास्तव में भारतीय शिल्प के लिए मेरे मिशन को दर्शाता है और यह वैश्विक परिधानों में कैसे फिट बैठता है।
पुरानी चीजों का इस्तेमाल करके कपड़ों को बनाया नया
सब्यसाची का कहना है कि भारतीय कढ़ाई और पैचवर्क तकनीकों का इस्तेमाल करके विरासत जरदोजी दोबारा से नायलॉन और बेहतरीन ऊन के साथ ट्यूल का इस्तेमाल करके बनाई गई चीजें उन्हें काफी पसंद है। आगे वह कहते हैं कि मुझे लगता है कि इस हाइब्रिड शिल्प की विशेषता वाले टुकड़े निश्चित तौर से मेरी पंसद हैं जहां मैंने अत्याधुनिक आधुनिक तकनीक से बने कपड़ों के साथ पुराने विरासत शिल्प का इस्तेमाल करके आगे बढ़ाया है।
पिछले दो दशकों में काफी लंबा समय न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर में घूमते हुए बिताने के बाद सब्यसाची यह देखने से खुद को नहीं रोक सके कि किसी भी चमचमाती स्क्रीन पर भारत का प्रदर्शन नहीं किया गया था।। यही देखने हुए कि भारत में अभी तक वैश्विक लग्जरी बाजारों में कोई खास छाप नहीं छोड़ी है उनके लिए एक चिंता का विषय बन गया और वह इसी चीज को बदलना चाहते हैं।