रुशाली और संजोग की जोड़ी बहुत सुंदर थी। उनके फ्रैंड सर्कल में वह मेड फार ईच अदर कपल के नाम से लोकप्रिय थे। शादी के शुरूआती दौर में जब वह एक दूसरे से चिपके नजर आते तो कोई इस पर न ज्यादा गौर करता न लोग इसे माइंड करते, लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया रुशाली पब्लिक प्लेस में भी पति का हाथ थामे रहती। संजोग लाख छुड़ाने की कोशिश करता रुशाली उसका हाथ और भी कस लेती। यह क्या बचपना है रुशाली। कई बार संयोग पत्नी का हाथ झटकते हुए कहता मगर रुशाली पर कोई असर न होता।
संजोग का धैर्य भी जवाब देने लगा। उसे अंदर ही अंदर बेहद घुटन और चिढ़ होने लगी। उनके रिश्तों में दरार पड़ने लगी थी। संजोग पत्नी से उखड़ा-उखड़ा रहने लगा था। पति-पत्नी के रिश्तों में माधुर्य बना रहे इसके लिए उन्हें एक-दूसरे को स्पेस देनी चाहिए। चाहे वह एक-दूसरे पर जान छिड़कते हों।
चिपकू पार्टनर की कुछ खासियतें
ऐसे लोग एक-दूसरे के स्वतंत्र अस्तित्व की अहमियत नहीं समझते। कोई भी शख्स अपनी पहचान मिटाकर खुश नहीं रह सकता है। यह बात ऐसे लोग नहीं समझ पाते। उन्हें लगता है कि शादी करके पति-पत्नी को एक-दूसरे की ज़िदगी में हर समय दखलअंदाजी करने का, उनकी हर बात जानने का लाइसैंस मिल जाता है। वह साथ देने को गलत रूप से लेकर चलते हैं। ताउम्र रिश्ते को खुशहाल बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि वह एक-दूसरे की पहचान को सम्मान देते हुए उनके स्वतंत्र अस्तित्व को स्वीकारें। अपने को दूसरे पर न थोपें।
नजदीक बने रहने की चाह
दिलबर का नया-नया साथ रोमांचक होता है। यह नार्मल-सी बात है कि साथी को नजदीक बने रहने की चाह रहती है लेकिन यह संभव नहीं है। कुछ देर की दूरी उनमें आकर्षण बढ़ाती है। इसके अलावा प्रोफैशनल और सोशल लाइफ भी होती है जिसे समय देना पड़ता है।
पार्टनर के दोस्तों से प्राब्लम
शादीशुदा लोगों की यह एक बहुत आम समस्या है। अगर आप पजेसिव पार्टनर बनकर साथी को दोस्तों से घुलने-मिलने, उनके साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताने को लेकर एतराज करेंगे तो इसका सीधा असर आपके रिश्ते पर पड़ेगा। हां अगर कभी आपको लगे कि कोई दोस्त, दोस्त से कुछ ज्यादा होने लगा है तब आपका एतराज करना गलत नहीं होगा।
जब फोन बैरी बन जाए
नीरजा की आदत बन गई थी अपने को सुपीरियर दिखाने के फेर में वह आफिस के लंच टाइम में अपने क्लीग्स के सामने पारस का फोनकाल इग्नोर कर देती थी। घर जाने पर जब पारस शिकायत करता तो उसकी बात वह हंस के उड़ा देती। लेकिन जब पारस ने भी यही रवैया अपनाया तो नीरजा के दिमाग में खतरे की घंटियां बजने लगीं। नीरजा को लगा चिपकू पति नहीं बल्कि वह स्वयं चिपकू पत्नी बन गई है।