नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश के वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर वीरवार शाम को गंगा आरती के दौरान दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। जब भक्तों ने दीये जलाए और प्रार्थना की, तो उन्होंने टाटा के असाधारण जीवन, विरासत और भारतीय उद्योग और परोपकार में उनके योगदान को याद किया।
रतन टाटा की आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चार भी किए गए। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया- रतन टाटा को देश-विदेश से आए सैलानियों और मां गंगा के अन्यन भक्तों ने आज दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान घाट पर वातावरण श्रद्धा और कृतज्ञता की भावना से भर गया क्योंकि लोगों ने उन्हें न केवल उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए बल्कि सामाजिक कारणों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए भी याद किया।
वहीं अस्सी घाट पर भी जय मां गंगा सेवा समिति और ब्राम्हम राष्ट्र एकम द्वारा रतन टाटा को 51 दीप जलाकर विनम्र श्रद्धांजलि दी। पुरोहितों व बटुकों ने शांति मंत्र का जप करके उनके आत्मा की शांति के लिए मां गंगा से प्रार्थना की।रतन टाटा की वाराणसी से भी यादें जुड़ी हुईं हैं। वे पांच साल पहले काशी आए थे। 19 फरवरी 2019 को न केवल काशी, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के कैंसर मरीजों की जान बचाने को लेकर बहुत बड़ी सौगात दी थी।
टाटा ने बुधवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुंबई के वर्ली श्मशान घाट पर किया गया। इस दौरान उनकी सौतेली मां सिमोन टाटा और करीबी सहयोगी शांतनु नायडू समेत कई दिग्गज लोग शामिल हुए। टाटा समूह और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष टाटा 1991 से 2012 में अपनी सेवानिवृत्ति तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष थे। उन्हें 2008 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।