तेज दौड़ती जिंदगी के कारण आजकल सेहत का ख्याल रख पाना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के लिए योग सबसे अच्छा माध्यम हैं, जिनमें से एक हैं पद्म साधना। पद्म साधना योग का ही एक रूप है, जिसके अभ्यास में योग मुद्राएं, नाड़ी शोधन श्वास तकनीक (प्राणायाम) और ध्यान का एक सरल क्रम शामिल है।
कैसे फायदेमंद है पद्म साधना?
रोजाना 45 मिनट पद्म साधना करने से आपको ना सिर्फ आंतरिक शांति मिलती है बल्कि इससे शरीर भी स्वस्थ रहता है। योग आसन का यह सेट शरीर व दिमाग को ध्यान लगाने में मदद करता है, जिससे आप रिलैक्स महसूस करते हैं। इसके कुल 14 आसन हैं जिन्हें क्रम के हिसाब से करना पड़ता है और सभी योगासन को कम से कम 60 सेकेंड करना जरूरी है।
पद्म साधना के आसन
बॉडी रोटेशन
पद्म साधना को शुरू करने से पहले शरीर को रोटेशन करना जरूरी होता है। इसे करने के लिए आप सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं और फिर हाथ कमर पर पूरी बॉडी को धीरे-धीरे रोटेट करें।
अर्ध शलभासन
इस योग स्थिति के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएंगे और पैरों को साथ जोड़ लें। फिर हाथों की मुट्ठी बंद करके जांघों के नीचे रख लें। अब सांस लेते हुए एक पैर को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे वापिस लाएं। इसी तरह बाएं पैर के साथ भी कीजिए।
शलभासन
शलभासन करने के लिए जमीन पर पेट के बल लेटकर ठोड़ी को जमीन पर टिकाएं। इसके बाद दोनों हाथों को जांघों के नीचे दबाएं। फिर सांस अंदर बाहर करते हुए दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए ऊपर की तरफ उठाएं। अब धीरे-धीरे पैरों को सामान्य स्थिति में ले आएं। अब हाथों को जांघों के नीचे से निकालते हुए सीधे लेट जाएं।
भुजंगासन
भुजंगासन करने के लिए जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद अपने सिर को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए हल्का पीछे की तरफ घुमाएं। इस बात का ध्यान रखें कि घुटने जमीन पर हो और कमर पर ज्यादा खिचांव ना पड़ें। अब इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। कुछ समय के लिए ऐसा करने के बाद गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आए।
विपरीत शलभासन
इसके लिए एड़ियों को सीधा रखते हुए जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद पैरों के पंजों को आपस में एक-साथ जोड़ लें। अब, अपने हाथों को सामने की ओर जितना हो सकता है, बाहर की ओर खींचे। एक गहरी सांस लें और अपनी छाती, हाथों, पैरों व जांघों को जमीन से ऊपर उठाएं। इस स्थिति में शरीर को विपरीत दिशा में खींचने की कोशिश करें और कुछ देर बाद सामान्य हो जाए।
धनुरासन
धनुरासन करने के लिए फर्श पर उल्टा लेट जाएं और फिर दोनों पैरों को मोड़कर हाथ से पकड़ें। पैरों को अपने नितम्बों तक लाने की कोशिश करें। साथ ही नीचे व ऊपर से खुद को स्ट्रेच करें। अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर 5 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रुकें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।
नौकासन
जमीन पर पेट के बल लेटने के बाद हाथों को जांघ के बगल और शरीर को एकदम सीधा रखें। फिर शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें। अब सिर, पैर व पूरे शरीर को 30 डिग्री पर उठाएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपके हाथ जांघों के ऊपर हों। धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। इस अवस्था में कुछ देर रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाए।
अर्ध पवनमुक्तासन
जो लोग बैली फैट कम करना चाहते हैं उनके लिए यह आसन बिल्कुल सही है। इसे करने के लिए लिए सीधा पीठ के बल लेट जाएं। फिर दाएं पैर को मोड़कर छाती के पास ले जाएं और उपर के हिस्से को उठाएं। अब घुटनों के नीचे के हिस्से को टाइट पकड़कर नाक से घुटनों को छूने की कोशिश करें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें।
पवनमुक्तासन
इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को कमर के पास ले जाएं और फिर पैर को मोड़ लीजिए। अब हाथ से पैर को पकड़कर सिर को उठाते हुए हाथ को सिर के पास ले जाएं। कुछ समय के लिए इसी स्थिति में रहें, फिर सामान्य हो जाएं। अगर आपको सर्वाइकल की समस्या है तो सिर को छूने की कोशिश ना करें।
सर्वांगासन
सर्वांगसन योग को करने के लिए करवट लेते हुए पीठ के बल लेट जाएं और मन को शांत करने की कोशिश करें। फिर बाजुओं को कमर के पास सीधा रखते हुए हथेलियों को जमीन पर टिका दें। पैर को आपस में मिलाकर और टांगों को सीधा रखकर सांस भरते हुए पैरों को ऊपर की तरफ लाएं। अब कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों से पीठ को सहारा दें। इसके बाद कमर व टांगों को सीधा करके पैरों को ऊपर की ओर उठाएं और ठुड्डी को सीने से लगाने की कोशिश करें।
नटराजासन
सीधे खड़े होकर दाएं पैर को पीछे की तरफ ऐसे मोडें कि आपका दाएं पैर का पंजा नितंब को छुएं। इसके बाद आपको दाएं हाथ को पीछे ले जाएं और दाएं पैर के पंजे को पकड़ लें। अब दाएं पैर को पंजे से पकड़कर ऊपर की ओर लें। ऐसा करते समय ध्यान रखें कि शरीर का पूरा भार बाएं पैर पर हो। इसके बाद सिर को सीधा रखकर बाएं हाथ को हवा में झुलाएं। कुछ देर ऐसा करने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।
अर्ध मत्सयेंद्रासन
रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए यह आसन बेहद फायदेमंद है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले बैठ जाएं और फिर दोनों एक पैर को सीधा और एक पैर को आधा मोड़ लें। उसके बाद रीढ़ की हड्डी को आधा मोड़कर सीधे किए हुए पैर की एड़ी को दोनों हाथों से छूएं। इससे हड्डियां मजबूत होती है और पाचन क्रिया भी ठीक रहती है।
पर्वतासन
पर्वतासन करने के लिए सबसे पहले आप पद्मासन स्थिति में बैठ जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर की तरह सीधा करके हथेलियों को जोड़कर नमस्कार मुद्रा बना लें। अब धीरे-धीरे सांस अंदर बाहर लें। इस आसन को करते समय कमर को सीधा और शरीर को तानकर रखें।
योग मुद्रा
सबसे पहले वज्रासन स्थिति में बैठें और फिर शरीर सीधा व हाथ जांघों पर रखें। इसके बाद बाजुओं को सिर के ऊपर से निकालते हुए पीठ के पीछे लाएं और बाईं कलाई को दाएं हाथ से पकड़ें। फिर शरीर को कूल्हों से आगे झुकाएं और पीठ को सीधा रखते हुए सिर को जमीन के साथ लगाने की कोशिश करें। इस दौरान नितम्ब एडियों पर रहेंगे। इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाए।