
नारी डेस्क : मां बनना हर महिला का सपना होता है और इसके लिए बच्चेदानी (यूटरस) का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। अगर बच्चेदानी में किसी तरह की समस्या आ जाए, तो न सिर्फ गर्भधारण में दिक्कत आती है बल्कि शरीर में कई तरह के हेल्थ इश्यू भी शुरू हो सकते हैं। अक्सर महिलाएं शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे समस्या आगे चलकर गंभीर रूप ले लेती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चेदानी खराब होने के शुरुआती लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए।
बच्चेदानी कब और क्यों खराब होती है?
बच्चेदानी (यूटरस) में खराबी कई कारणों से हो सकती है। इसमें अक्सर इंफेक्शन या सूजन, फाइब्रॉइड्स या सिस्ट, हार्मोनल असंतुलन, या कमजोरी और बार-बार गर्भपात जैसी समस्याएं शामिल होती हैं। यदि इन लक्षणों को समय रहते नजरअंदाज किया जाए और इलाज न किया जाए, तो यह महिलाओं की फर्टिलिटी यानी गर्भधारण की क्षमता पर भी गंभीर असर डाल सकता है। इसलिए बच्चेदानी की नियमित जांच और सही देखभाल बेहद जरूरी है।

बच्चेदानी खराब होने के 4 शुरुआती शारीरिक लक्षण
पीरियड्स में गड़बड़ी
अगर पीरियड्स बहुत ज्यादा दिनों तक चलें, बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो या असहनीय दर्द हो, तो यह बच्चेदानी में समस्या का संकेत हो सकता है। अनियमित पीरियड्स को हल्के में न लें।
बार-बार पेशाब आना
जरूरत से ज्यादा बार पेशाब लगना भी बच्चेदानी की खराबी का संकेत हो सकता है। खासतौर पर अगर इसके साथ पेट के निचले हिस्से में दबाव या दर्द महसूस हो, तो डॉक्टर से जांच जरूरी है।

गर्भधारण में परेशानी
अगर लंबे समय से कोशिश करने के बाद भी गर्भ नहीं ठहर रहा या बार-बार मिसकैरेज हो रहा है, तो यह बच्चेदानी से जुड़ी समस्या का लक्षण हो सकता है। इसे फर्टिलिटी चैलेंज भी कहा जाता है।
कमर और पेल्विक एरिया में दर्द
पीरियड्स के दौरान या बिना किसी वजह के कमर, पेट के निचले हिस्से और पेल्विक एरिया में लगातार दर्द रहना बच्चेदानी की कमजोरी या सूजन का संकेत हो सकता है।

बच्चेदानी को हेल्दी रखने के लिए क्या करें?
हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल अपने आहार में शामिल करें।
आयरन और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें।
पर्याप्त पानी पिएं और तनाव से दूर रहें।
समय-समय पर महिला रोग विशेषज्ञ से जांच कराएं।
महिलायों के लिए जरूरी सलाह
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लंबे समय तक नजर आ रहा है, तो खुद से इलाज करने की बजाय तुरंत गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। शुरुआती जांच और सही इलाज से बच्चेदानी को हेल्दी रखा जा सकता है और मां बनने का सपना भी पूरा हो सकता है।