नारी डेस्क: दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक एक बेहद गंभीर और आपातकालीन स्थिति है। अगर समय पर सही कदम न उठाए जाएं तो मरीज की जान भी जा सकती है। ऐसे हालात में घबराने के बजाय सही जानकारी और तुरंत एक्शन लेना सबसे जरूरी होता है। कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया है कि अगर घर पर या आपके सामने किसी को हार्ट अटैक आए तो क्या करना चाहिए। इन आसान लेकिन जरूरी स्टेप्स को जानकर आप किसी की जान बचा सकते हैं।
हार्ट अटैक क्या होता है?
हार्ट अटैक तब आता है जब दिल तक खून पहुंचाने वाली नस अचानक ब्लॉक हो जाती है। यह ब्लॉकेज नसों में कोलेस्ट्रॉल या प्लाक जमने या फिर खून का थक्का बनने से होता है। जब दिल तक खून नहीं पहुंच पाता, तो दिल की मांसपेशियों को नुकसान होने लगता है। इस दौरान व्यक्ति को सीने में तेज दर्द या दबाव महसूस होता है, जो बाएं हाथ, गर्दन या जबड़े तक फैल सकता है। साथ में पसीना आना, घबराहट और सांस फूलना जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।

हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले क्या करें?
अगर किसी को हार्ट अटैक का शक हो, तो एक पल भी इंतजार न करें। तुरंत 108 या 112 पर कॉल करके एंबुलेंस बुलाएं और साफ-साफ बताएं कि मरीज को हार्ट अटैक के लक्षण हैं। कोशिश करें कि मरीज को ऐसे अस्पताल ले जाया जाए जहां कैथ लैब या एंजियोप्लास्टी की सुविधा हो। अगर ऐसा अस्पताल पास न हो, तो जो भी नजदीकी अस्पताल हो, वहीं ले जाएं। अगर मरीज खुद है, तो खुद गाड़ी चलाने की गलती न करें और किसी की मदद लें।
एस्पिरिन की गोली कब और कैसे दें?
अगर मरीज को एस्पिरिन से एलर्जी नहीं है और उसे ब्लीडिंग या पेट के अल्सर की समस्या नहीं रही है, तो उसे 300 मिलीग्राम एस्पिरिन या डिस्प्रिन की गोली चबाने के लिए दें। यह खून को पतला करने में मदद करती है और नुकसान को कुछ हद तक कम कर सकती है। ध्यान रखें कि यह सिर्फ प्राथमिक इलाज है, पूरा इलाज नहीं। एंबुलेंस या अस्पताल के लिए कॉल करने के बाद ही यह कदम उठाएं।
मरीज को किस पोजीशन में रखें?
मरीज को आराम से बैठा दें या करीब 45 डिग्री के एंगल पर आधा लिटा दें। ध्यान रखें कि उसे ताजी हवा मिलती रहे। अगर उसने तंग कपड़े पहन रखे हैं, तो उन्हें ढीला कर दें। मरीज को बेवजह चलने-फिरने, सीढ़ियां चढ़ने या उतरने न दें। खुद भी शांत रहें, क्योंकि घबराहट मरीज की हालत और बिगाड़ सकती है।

मरीज पर नजर बनाए रखें
मरीज की सांस और नाड़ी पर लगातार ध्यान दें। अगर मरीज अचानक बेहोश हो जाए, सांस लेना बंद कर दे या नाड़ी न चले, तो यह कार्डियाक अरेस्ट हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत CPR शुरू करना जरूरी होता है।
हार्ट अटैक और कार्डियाक अरेस्ट में अंतर
हार्ट अटैक में दिल तक खून की सप्लाई रुक जाती है, लेकिन दिल धड़कता रहता है। इसमें सीने में दर्द, पसीना, घबराहट और सांस फूलने जैसे लक्षण होते हैं और मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना जरूरी होता है। वहीं कार्डियाक अरेस्ट में दिल अचानक खून पंप करना बंद कर देता है। मरीज बेहोश हो जाता है, सांस और नाड़ी दोनों रुक जाती हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत CPR देना जान बचाने के लिए सबसे अहम कदम होता है।
कार्डियाक अरेस्ट में CPR कैसे दें?
मरीज को पीठ के बल सख्त जमीन पर लिटाएं। छाती के बीचों-बीच दोनों हाथ रखकर 2 इंच या 5 सेंटीमीटर गहराई तक तेज और मजबूत दबाव दें। प्रति मिनट 100–120 बार, यानी लगभग 2 दबाव प्रति सेकंड की रफ्तार से CPR दें। यह तब तक जारी रखें जब तक डॉक्टर, एंबुलेंस या कोई प्रशिक्षित व्यक्ति न आ जाए।
हार्ट अटैक या कार्डियाक अरेस्ट में क्या गलतियां न करें?
सीने में दर्द को एसिडिटी समझकर नजरअंदाज न करें। मरीज को पानी, सोडा या दर्द की दवाइयां न दें। छाती पर मालिश न करें और मरीज को पूरी तरह सीधा न लिटाएं। खुद गाड़ी चलाने की गलती न करें और परिवार या रिश्तेदारों की सलाह के लिए समय बर्बाद न करें। बिना विशेषज्ञ वाले क्लिनिक में रुकने से भी बचें।
क्या कहते हैं आंकड़े?
ICMR 2022 के अनुसार, भारत में लगभग 70% हार्ट अटैक मरीज 2 घंटे से ज्यादा देर से अस्पताल पहुंचते हैं। NEJM 2022 की रिपोर्ट बताती है कि कार्डियाक अरेस्ट में CPR न मिलने पर जीवित रहने की संभावना 10% तक कम हो जाती है। वहीं Lancet की एक स्टडी के मुताबिक, हार्ट अटैक में अस्पताल पहुंचने में सिर्फ 30 मिनट की देरी से मृत्यु का खतरा 7% तक बढ़ सकता है। भारत में पहला हार्ट अटैक पश्चिमी देशों की तुलना में औसतन 10 साल पहले आ जाता है।

जरूरी सलाह
यह जानकारी सामान्य जागरूकता के लिए है। किसी भी मेडिकल इमरजेंसी में तुरंत डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें। सही समय पर सही कदम उठाकर आप किसी की जिंदगी बचा सकते हैं।