अब यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारा देश बदल रहा है। लोगों की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है, तभी तो समाज में लड़कों से ज्यादा लड़कियों को तरजीह दी जा रही है। पिछले 3 साल के अडॉप्शन के आंकड़ों पर नजर डालने पर आपको भी समझ आ जाएगा कि लड़कियों के साथ भेदभाव वाला ट्रेंड अब बदल रहा है। लोग गोद लेने के लिए लड़कों से पहले लड़कियों की इच्छा जता रहे हैं।
बच्चा गोद लेने के बढ़े मामले
दरअसल हमारे देश में बहुत से कपल खुद का बच्चा पैदा करने की बजाय गोद लेना ज्यादा अच्छा और सहज समझते हैं। वहीं कुछ लोग बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं, ऐसे में वह बच्चे को गोद लेकर अपने जिंदगी के सूनेपन को भरते हैं। हालांकि कुछ सालों पहले बहुत कम लोग बच्चा गोद लेने का फैसला लेते थे, इसके पीछे सामाजिक ढांचा, धार्मिकता और निजी विचार शामिल थे। पर अब ऐसा नहीं है बहुत से कपल क़ानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं।
छह साल से कम बच्चों को लिया जा रहा गोद
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के माध्यम से केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 2021-2023 की अवधि में कुल15,486 बच्चे गोद लिए गए। गोद लेने वाले माता-पिता ने 6,012 लड़कों मुकाबले 9,474 लड़कियों को घर ले जाना पसंद किया। वहीं छह साल से कम बच्चों को ज्यादा गोद लिया जा रहा है। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी (CARA) टेबल की ओर से जारी की गई जानकारी के अनुसार 69.4% रजिस्टर्ड भावी दत्तक माता-पिता 0 से 2 वर्ष की आयु के बच्चों को चुनते हैं। 2 से 4 वर्ष के आयु वर्ग में 10.3% और 4 से 6 वर्ष के आयु वर्ग में 14.8% भावी माता-पिता ने रुचि दिखाई।
लड़कियों को गोद लेने में पंजाब सबसे आगे
वहीं पंजाब और चंडीगढ़ भारत में लैंगिक समानता की दिशा में आगे बढ़ने में अग्रणी बनकर उभरे हैं। पंजाब में एचएएमए के तहत पंजीकृत कुल 7,496 गोद लेने वालों में से 4,966 लड़कियां और 2,530 लड़के थे। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में गोद लिए गए कुल 167 बच्चों में से 114 लड़कियां थीं। बाकी राज्यों में भी लड़कियां ही पहली पसंद बनी। वहीं, तेलंगाना के हिंदू जोड़ों ने लड़कों को गोद लेना अधिक पसंद किया। यहां कुल 242 बच्चों को गोद लिया गया जिनमें से महज 48 लड़कियां थीं।
ये हैं पहले के आंकड़े
इससे पहले भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो 2015 से लेकर 2018 के बीच कुल 11,649 बच्चों को गोद लिया गया था। इनमें से 6,962 लड़कियां थी, जबकि लड़कों की संख्या 4,687 थीं। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में 2,991 बच्चों को गोद लिया गया, जिसमें 1,698 लड़कियां शामिल थी। 2020-21 में देश में 3,142 बच्चों को गोद लिया, इसमें 1,856 लड़कियां शामिल थीं। वहीं, 2019-20 में 3,351 बच्चों को गोद लिया गया, जिसमें 1,938 लड़कियां शामिल थी।
चाइल्ड एडॉप्शन को लेकर कानून
भारत में चाइल्ड एडॉप्शन के मुख्य दो कानून हैं। इन कानूनों के समग्र पालन के लिए केंद्र सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली एजेंसी सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) नोडल एजेंसी के रूप में काम करती है। वहीं हिंदू एडॉप्शन मेंटेनेंस, 1956 (HAMA) एक्ट हिन्दू कोड बिल का हिस्सा है। इस कानून के तहत हिन्दू धर्म के लोग एडॉप्शन कर सकते हैं। इस कानून में यह भी कहा गया है कि एक माता-पिता बच्चे को एडॉप्शन के लिए दूसरे माता-पिता को दे सकते हैं। यह एक्ट सिर्फ 15 साल की उम्र तक के बच्चों को गोद लेने की अनुमति देता है और यह सिर्फ हिन्दुओं पर ही लागू होता है।