कश्मीर में कड़ाके की पड़ रही ठंड में शुष्क मौसम बहुत बड़ी परेशानी साबित होने लगता है। इस बार बर्फबारी और बारिश कम होने के कारण बागवानों और पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। सभी दूरगामी प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। सिंचाई अच्छे से न होने के कारण जहां फसलें सूखने लगी हैं वहीं उन लोगों की आमदनी भी खतरे में पड़ गई है जो बर्फबारी के बाद अलग-अलग गतिविधियों पर निर्भर होती है।
गुलमर्ग में नहीं है इस बार इतनी बर्फ
पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि गुलमर्ग में इस बार इतनी बर्फ नहीं है जितनी होनी चाहिए। हर बार जनवरी महीने में कम से कम एक फीट बर्फ तो रहती है लेकिन इस बार की परिस्थिति बिल्कुल अलग है। गुलमर्ग की बिना बर्फबारी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई हैं जिन्होंने पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है।
इसलिए पड़ रही है गुलमर्ग में ड्राई सर्दी?
मौसम विभाग ने कहा है कि इस सर्दी में शुष्क मौसम ड्राई विंटर के तौर पर देखा जा रहा है। कश्मीर घाटी में बारीश में भी 79% गिरावट देखी गई है और बहुत मुश्किल बर्फबारी भी हुई है। कश्मीर मौसम विभाग के निदेशक ने मीडिया को बताया कि - 'पूरा दिसंबर और जनवरी का पहला हफ्ता ड्राई रहा है। आने वाले दिनों में बारिश की संभावना नहीं है। 16 जनवरी की दोपहर तक मौसम ड्राई रह सकता है। पिछले तीन से चार दिनों से शुरुआती बर्फबारी का सिलसिला बना हुआ है। अल नीनो नवंबर से जारी है और अगले महीने तक जारी रह सकता है।'
मौसम विभाग की मानें तो तत्काल राहत की उम्मीद नहीं है क्योंकि ड्राई मौसम की स्थिति अगले महीने तक बनी रहेगी। मौसम विभाग कम बर्फबारी का श्रैय अल नीनो मौसम को दे रहे हैं जिसके कारण 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल रहा।
हिमाचल पहलगाम और उत्तराखंड में भी नहीं पड़ी बर्फ
समाचार एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है जिसमें गुलमर्ग का मशहूर सुरम्य शहर बंजर और सूखा नजर आ रहा है और जमीन पर बर्फ के केवल टुकड़े नजर आ रहे हैं। सिर्फ गुलमर्ग ही नहीं बल्कि कश्मीर के पहलगाम समेत पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी औसत से कम बर्फबारी हुई है। लॉन्ग ड्राई स्पैल का अर्थ होता है कि जब लंबे समय तक बर्फबारी ना हो। मुख्यतौर पर इस दौरान 4-6 फीट मोटी बर्फ की चादर दिखाई देती है। पिछले साल की गुलमर्ग की तस्वीर में यही क्षेत्र मोटी चादर से ढका हुआ दिखाई दिया था और जमीन का एक इंच भी हिस्सा दिखाई नहीं दिया है लेकिन इस साल जमीन पर बर्फ न होने के कारण यह क्षेत्र ड्राई दिखाई दे रहा है।