हमारा समाज आज चाहे काफी आगे बड़ गया है लेकिन लोगों की सोच आज भी कहीं न कहीं पुरानी बातों पर अटकी है। बात अगर एलजीबीटी समुदाय की करें तो आज भी इन्हें समाज में अपना नाम बनाने और एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। समाज के तानों के साथ साथ भेदभाव को सहकर भी एलजीबीटी समुदाय अपनी मेहनत से एक अलग पहचान बना रहे है और एक ऐसी ही उदाहरण पेश की है 28 साल की निशा राव ने। जो पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील बन गईं है हालांकि यह सफर उनके लिए आसान नहीं था। तो चलिए आपको बताते हैं निशा राव की संघर्ष भरी कहानी।
18 साल की उम्र में घर से भागी
निशा के लिए इस सफलता को पाना आसान नहीं था। इस मुक्काम को हासिल करने के लिए निशा को जब पता चला कि वह दूसरों से अलग हैं तो वह 18 साल की उम्र में ही लाहौर स्थित अपने घर से भाग गई । निशा के साथ 2 और ट्रांसजेंडर भी थे। घर से भाग जाने के बाद निशा की जिंदगी की असल मेहनत शुरू हुई।
जीवने चलाने के लिए मिली सेक्स वर्कर बनने की सलाह
इस दुनिया में पेट पालना कहां आसान है और निशा की जिंदगी में भी यही दिक्कत आई। पेट पालने के लिए और पहचान बनाने के लिए उन्हें सेक्स वर्कर बनने तक की सलाह भी दी गई लेकिन निशा दो वक्त की रोटी के लिए इस काम को नहीं करना चाहती थी इसलिए निशा ने यह काम नहीं किया।
ट्रेफिक लाइट पर मांगी भीख
आजीविका चलाने के लिए जब निशा के पास और कोई रास्ता नहीं बचा तो निशा ने ट्रेफिक लाइट पर भीख मांगना शुरू किया। निशा इस काम को कर तो रही थी लेकिन उनका जमीर उन्हें ऐसा करने से रोक रहा था। इसके बाद निशा ने सोचा कि क्यों न वह इन पैसों से पढ़ें। इसके बाद निशा ने भीख के पैसों से लॉ की डिग्री की पढ़ाई करना शुरू की। निशा दिन में भीख मांगती और रात को वकील की पढ़ाई करती।
अब तक लड़ चुकी हैं 50 केस
फर्श से अदालत तक के कमरे तक पहुंचने के लिए निशा ने दिन रात एक कर दिया और 2018 में सिंध मुस्लिम लॉ कॉलेज से डिग्री ली। खबरों की मानें तो निशा राव अब तक 50 केस लड़ चुकी हैं। उनके जितने भी क्लाइंट हैं सब ज्यादातर ट्रांसजेंडर्स हैं। निशा को इस साल कानूनी लाइसेंस भी मिल गया है।
खुद की सफलता पर आज खुश हैं निशा
वहीं मीडिया के साथ बातचीत में निशा ने बताया कि , ' मुझे पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील होने पर गर्व है। पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की जिंदगी आसान नहीं है। हालांकि यहां संसद ने 2018 में एक कानून पास किया था, जिसमें ट्रांसजेंडर को समान नागरिक अधिकार दिए गए थे। बुरे व्यवहार के अलावा ट्रांसजेंडर्स को यौन उत्पीड़न का शिकार भी होना पड़ता है ।
जज बनने का है सपना
निशा ने चाहे अपनी कड़ी मेहनत से समाज में एक अलग पहचान बनाई है लेकिन अभी भी उनका एक सपना अधूरा है। दरअसल अब वह वकील हैं लेकिन वह आगे जाकर पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर जज बनना चाहती हैं।
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