बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह आज 73 वर्ष के हो गये। 20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जन्में नसीरुद्दीन शाह ने वर्ष 1971 में अभिनेता बनने का सपना लिये उन्होंने दिल्ली नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा स्कूल में दाखिला ले लिया। अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिये नब्बे के दशक में उन्होंने स्वयं को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। हालांकि उनके अपने पिता के साथ रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे।
पिता के खिलाफ जाकर बने एक्टर
एक्टर ने एक बार कहा था कि-मैंने अपने पिता को कभी नहीं समझा और न ही उन्होंने कभी मुझे समझा. वो सदियों पुरानी परंपराओं में विश्वास करते थे। दरअसल एक्टर के पिता अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाना चाहते थे, लेकिन नसीरुद्दीन शाह को बस इसी काम में मन नहीं लगता था। बताया जाता है कि पिता की मौत के बाद वह इस कदर दुखी थे कि वो जनाजे में भी शामिल नहीं हुए। और फिर इसके कुछ समय बाद नसीर पिता की कब्र के पास पहुंचे। बताया जाता है कि घंटों तक वो वहां बैठकर अपनी वो सारी बातें कहते रहे, जो वो जीते जी कभी कह ही न सके थे।
1976 में बदली एक्टर की किस्मत
वर्ष 1976 नसीरूद्दीन शाह के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी भूमिका और मंथन जैसी सफल फिल्म प्रदर्शित हुई । दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म ..मंथन ..में नसीरुद्दीन शाह के अभिनय ने नए रंग दर्शको को देखने को मिले । इस फिल्म के निर्माण के लिये गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रति दिन की मिलने वाली मजदूरी में से ..दो-दो.. रूपये फिल्म निर्माताओं को दिये और बाद में जब यह फिल्म प्रदर्शित हुई तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुयी।
नसीरुद्दीन शाह के अंधे के किरदार ने जीता सभी का दिल
वर्ष 1979 में प्रदर्शित फिल्म ..स्पर्श. मे नसीरुद्दीन शाह के अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में अंधे व्यक्ति की भूमिका निभाना किसी भी अभिनेता के लिये बहुत बड़ी चुनौती थी ।चेहरे के भाव से दर्शको को सब कुछ बता देना नसीरुद्दीन शाह की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाये । इस फिल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया ।
छोटे पर्दे में भी अजमाई किस्मत
वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ..आक्रोश ..नसीरुद्दीन शाह के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है । वर्ष 1983 में नसीर के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म..जाने भी दो यारो ..प्रदर्शित हुई। कुंदन शाह निर्देशित इस फिल्म में नसीरूद्दीन शाह के अभिनय का नया रंग देखने को मिला ।इस फिल्म से पहले उनके बारे में यह धारणा थी कि वह केवल संजीदा भूमिकाएं निभाने में ही सक्षम है लेकिन इस फिल्म उन्होंने अपने जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। वर्ष 1985 में नसीरुद्दीन शाह के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ..मिर्च मसाला ..प्रदर्शित हुयी । नब्बे के दशक में नसीर ने दर्शको की पसंद को देखते हुये छोटे पर्दे का भी रूख किया और वर्ष 1988 में गुलजार निर्देशित धारावाहिक मिर्जा गालिब में अभिनय किया। इसके अलावा वर्ष 1989 में भारत एक खोज धारावाहिक में उन्होंने मराठा राजा शिवाजी की भूमिका को जीवंत कर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।
कई पुरस्कार कर चुके हैं अपने नाम
इस क्रम में 1994 में प्रदर्शित फिल्म .मोहरा .में वह खल चरित्र निभाने से भी नहीं हिचके। इस फिल्म में भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद उन्होंने टक्कर,हिम्मत ,चाहत ,राजकुमार ,सरफरोश और कृष जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाकर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया । नसीरुद्दीन शाह के सिने करियर में उनकी जोड़ी स्मिता पाटिल के साथ काफी पसंद की गयी। नसीरुद्दीन शाह अबतक तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके है। इन सबके साथ ही वह तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये है। फिल्म के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये वह भारत सरकार की ओर से पदमश्री और पदमभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किये जा चुके है। नसीरूद्दीन शाह ने करीब चार दशक लंबे सिने करियर में 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है ।नसीरउद्दीन साह आज भी उसी जोशोखरोश के साथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय है।