02 NOVSATURDAY2024 11:05:05 PM
Nari

पत्नी के साथ 'अप्राकृतिक यौन संबंध रेप नहीं है' MP हाईकोर्ट ने सुनाया पति के पक्ष में फैसला

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 05 May, 2024 06:11 PM
पत्नी के साथ 'अप्राकृतिक यौन संबंध  रेप नहीं है' MP हाईकोर्ट ने सुनाया पति के पक्ष में फैसला

मध्य प्रदेश हाई-कोर्ट में हाल ही में एक केस की सुनवाई करते हुए पति द्वारा अप्राकृतिक यौन संबंध के मामले में विवादस्पत फैसला लिया गया। जस्टिस जीएस आहलूवालिया ने पत्नी द्वारा पति के खिलाफ अप्राकृतिक यौन शोषण के मामले में दर्ज की गई FIR को खारिज कर दिया। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि यदि एक पत्नी शादी के दौरान अपने पति के साथ रह रही है तो किसी पुरुष द्वारा अपनी ही पत्नी ( जो की 18 साल से कम उम की न हो) के साथ कोई भी यौन कृत्य दुष्कर्म नहीं होगा। 
जस्टिस अहलुवालिया की एकल पीठ ने फैसला लिखते हुए कहा कि, 'शादी के बाद पुरुष के पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। खासकर पति-पत्नी के साथ रहने के दौरान पुरुष द्वारा कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। ऐसे मामले में पत्नी की असहमति महत्वहीन हो जाती है।'

PunjabKesari

ये भी पढ़ें : शादीशुदा लोगों को लेकर Delhi HC का फैसला, 'सहमति से संबंध बनाना गलत नहीं...'

 

क्या है पूरा मामला?

ये फैसला जबलपुर के एक केस की सुनवाई के दौरान लिया गया। दरअसल, जबलपुर निवासी मनीष साहू ने एमपी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर बताया था कि पत्नी ने उसके खिलाफ नरसिंहपुर जिले में 24 अगस्त 2022 को एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि उनकी शादी 8 मई 2019 को हुई थी। शादी के बाद जब दूसरी बार वह अपने ससुराल गई तो उसके पति ने उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। 

PunjabKesari


इसके बाद पति ने कई बार ऐसा किया और साथ में किसी को बताने पर तलाक की भी धमकी दी। वहीं याचिकाकर्ता मनीष के वकील ने दलील दी है कि पहली बार दर्ज की गई दहेज की एफआईआर में अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप नहीं लगाए गए थे। इसलिए दूसरी एफआईआर में लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से गलत हैं। जस्टिम अहलुवालिया ने फैसले में लिखा कि पति द्वारा अपने साथ रहने वाली कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध आईपीसी की धारा-377 के तहत अपराध नहीं है।

PunjabKesari

इसलिए इस बात पर और विमर्श की आवश्यकता नहीं है कि क्या एफआईआर किस आधार पर दर्ज की गई थी? उन्होंने पत्नी द्वारा मनीष साहू के खिलाफ दायर एफआईआर को निरस्त कर दिया।

Related News