इंग्लिश चैनल पार करना हर तैराक का सपना होता है और लेकिन बहुत कम ही लोग इसे सफलतापूर्वक पार कर पाए हैं। लेकिन भारत में यह सपना देखा था एक महिला तैराक ने, जिसको बाद में 'भारत की जलपरी' के नाम से भी जाना जाने लगा। हम बात कर रहे हैं आरती साहा की, जिन्होंने महज 19 साल की उम्र में इंग्लिश चैनल पार करके इतहास रच दिया। आरती की इस कामयाबी से ना सिर्फ भारत को गौरवा हुआ ब्लकि जो लोग महिलाओं के लेकर रुढ़ि वादी सोच रखते हैं, उन्हें भी मुंह तोड़ जबाव दिया।
क्या है इंग्लिश चैनल?
इससे पहले हम आरती साहा की बात करें, चलिए आपको बताते है की इंग्लिश चैनल आखिर क्या है? इंग्लिश चैनल अटलांटिक सागर का एक हिस्सा है जो दक्षिणी इंग्लैंड और उत्तरी फ्रांस को एक दूसरे से अलग करता है, वहीं उत्तरी सागर को अटलांटिक से जोड़ता है। यह चैनल करीब 550 किलोमीटर का है।
बचपन से ही आरती का था तैराकी का शौक
24 सिंतबर 1940 में आरती का जन्म कोलकाता में हुआ। उसके पिता पंचगोपाल साहा सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब वह ढाई साल की थी तब उनकी मां का देहांत हो गया। उनके बड़े भाई और छोटी बहन भारती का पालन-पोषण मामा के घर हुआ, जबकि उनकी परवरिश उनकी दादी ने की।
उनके पिता ने बेटी की तैराकी में रुचि देखते हुए उन्होंने चार साल की उम्र में हाटखोला स्विमिंग क्लब में भर्ती कराया। वर्ष 1946 में पांच साल की उम्र में उन्होंने शैलेंद्र मेमोरियल तैराकी प्रतियोगिता में 110 गज फ्रीस्टाइल में स्वर्ण जीता। यह उनके तैराकी करियर की शुरुआती सफलता थी।
ओलंपिक में आरती ने किया जबरदस्त प्रदर्शन
साल 1946 से लेकर 1956 तक ने कई सारी तैराकी की प्रतियोगिओं में भाग लिया। उन्होनें पश्चिम बंगाल में 22 राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं जीती। इनमें प्रमुख रूप से 100 मीटर फ्रीस्टाइल, 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक और 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक तैराकी शामिल थी। आरती ने वर्ष 1948 में मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया।
उन्होंने 100 मीटर फ्रीस्टाइल और 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में रजत जीता और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में कांस्य जीता। वह बॉम्बे की डॉली नजीर के बाद दूसरे स्थान पर आईं। उन्होंने वर्ष 1949 में अखिल भारतीय रिकॉर्ड बनाया। वर्ष 1951 में पश्चिम बंगाल राज्य में हुई तैराकी प्रतियोगिता में आरती ने 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक तैराकी में 1 मिनट 37.6 सेकंड का समय निकाला और हम वतन डॉली नजीर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ा। उन्होंने वर्ष 1952 के ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर के 200 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक इवेंट में भाग लिया और हीट्स में 3 मिनट 40.8 सेकंड का समय निकाला।
इंग्लिश चैनल के पर करने वाली बनी पहली महिला
आराती साह ने इंग्लिश चैनल पार करने के लिए कड़ी मेहनत की। 24 जुलाई 1959 को वह अपने मैनेजर डॉ. अरुण गुप्ता के साथ इंग्लैंड के लिए रवाना हुईं। 29 सितंबर, 1959 को उन्होनें इंग्लिश चैनल के केप ग्रिस नेज़, फ्रांस से तैरना शुरू किया।
वह लगातार 16 घंटे और 20 मिनट तक तैरती रही और बीच में कड़ी लहरों से जूझती हुई सैंडगेट, इंग्लैंड तक की 42 मील लंबी दूरी तय की और भारतीय ध्वज फहराया। आरती साहा ने महज 19 साल की कम उम्र में इंग्लिश चैनल को पार करके दुनिया को हैरत में डाल दिया। भारत सरकार ने आराती को वर्ष 1960 को ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से सम्मानित किया। उनकी सफलता पर भारतीय डाक ने उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए वर्ष 1998 में एक डाक टिकट भी जारी किया।
पर्सनल लाइफ
आपको बता दें की आराती की कामयाबी के पीछे उनके गुरु और मैनेजर डॉ. अरुण गुप्ता का बहुत बड़ा था जो खुद भी एक तैराक थे। इंग्लिश चैनल पार करने के बाद भारत वापस का के अरुण गुप्ता से शादी कर ली, जिनसे उनको एक बेटी है। आरती को पीलिया और इन्सेफेलाइटिस होने पर कोलकाता में एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया जहां 23 अगस्त, 1994 को 53 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।