इन दिनों चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की साधना के लिए बहुत ही पवित्र माना जाता है। नौ दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। वैसे ही नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सारे कष्ट दूर होते हैं और हर कामना पूरी होती है लेकिन मां के इस स्वरुप की पूजा कैसी की जाती है और उन्हें किस चीज का भोग लगाना चाहिए। आज आपको इस बारे में बताएंगे।
अपनी मुस्कान से मां ने की थी ब्रह्मांड की रचना
मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। शांत मन से मां की आराधना करनी चाहिए। इससे भक्तों को अमर रहने का वरदान मिलता है। कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधेरा छा गया था तो कूष्मांडा मां ने अपनी मधुर मुस्कान के साथ ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए देवी को सृष्टि की आदी स्वरुपा और आदिशक्ति भी कहते हैं।
मां कूष्मांडा की हैं आठ भुजाएं
मां के स्वरुप की बात करें तो देवी की आठ भुजाएं हैं। मां के सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, चक्र और गदा है। वहीं मां के आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देनी वाली माला विराजमान है। देवी के हाथों में मौजूद अमृत कलश से वह भक्तों को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान देती हैं। मां की सवारी सिंह है जो धर्म का प्रतीक मानी जाती हैं।
ऐसे करें देवी की पूजा
देवी कूष्मांडा की पूजा में उन्हें कुमकुम, मौली, चावल, पान के पत्ते, केसर और श्रृंगार श्रद्धा के साथ चढ़ाएं। फिर सफेद कुम्हड़ा मां को अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा चालिसा का पाठ करें। अंत में घी के दीए या कपूर के साथ मां की आरती करें। आरती के बाद यह दीया पूरे घर में दिखा दें। इससे घर की नेगेटिविटी दूर होगी। इसके बाद मां कूष्मांडा से परिवार की सुख-समृद्धि और संकटों से दूर रखने का आशीर्वाद लें।
मां का प्रिय रंग और भोग
मां कूष्मांडा को पूजा के बाद हलवा, मीठा दही या मालपुए का भोग लगाएं। बाद में यह भोग ब्राह्मणों को दान कर दें या खुद खा लें। मां का प्रिय रंग हरा है। ऐसे में इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद देती हैं।