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जब लता जी को दिया गया था जहर तो इस शख्स ने बचाई थी उनकी जान

  • Edited By Priya dhir,
  • Updated: 28 Nov, 2020 12:13 PM

फेमस प्लेबैंक सिंगर लता मंगेशकर के बारे में आपने सुना होगा कि जब वो 33 साल की थीं तो उन्हें जहर दिया गया था। दरअसल, उन्हें लगातार धीमा जहर दिया जाता था जिसकी वजह से उनकी हालात काफी नाज़ुक हो गई थी। अब इस बात से खुद लता जी ने पर्दा उठाया है। एक इंटरव्यू में लता जी ने कहा, "हम मंगेशकर्स इस बारे में बात नहीं करते क्योंकि यह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था। साल था 1963। मुझे इतनी कमज़ोरी महसूस होने लगी कि मैं बेड से भी बमुश्किल उठ पाती थी। हालात ये हो गए कि मैं अपने दम पर चल फिर भी नहीं सकती थी।"

तीन महीने तक बेड पर रही थीं लताजी

वही, इंटरव्यू में जब लता जी से पूछा गया कि क्या यह सच है कि डॉक्टर्स ने उन्हें कह दिया था कि वे फिर कभी नहीं गा पाएगी? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "यह सही नहीं है। यह मेरे धीमे जहर के इर्द-गिर्द बुनी गई एक काल्पनिक कहानी है। डॉक्टर ने मुझे नहीं कहा था कि मैं कभी नहीं गा पाऊंगी। मुझे ठीक करने वाले हमारे फैमिली डॉक्टर आर. पी कपूर ने तो मुझसे यह तक कहा था कि वे मुझे खड़ी करके रहेंगे। लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूं कि पिछले कुछ सालों में यह ग़लतफहमी हुई है। मैंने अपनी आवाज़ नहीं खोई थी।" लता जी ने कहा कि वह डॉ. कपूर के इलाज के बाद ठीक हुई। उन्होंने कहा, "इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि मुझे धीमा जहर दिया गया था। डॉ. कपूर का ट्रीटमेंट और मेरा दृढ़ संकल्प मुझे वापिस ले आया। तीन महीने तक बेड पर रहने के बाद मैं फिर से रिकॉर्ड करने लायक हो गई थी।"

हेमंत दा के कहने पर गाया था गाना 

लताजी बताती हैं, "हेमंत दा घर आए और मेरी मां की इजाजत लेकर मुझे रिकॉर्डिंग के लिए ले गए। उन्होंने मां से वादा किया कि किसी भी तरह के तनाव के लक्षण दिखने के बाद वे तुरंत मुझे घर वापिस ले आएंगे। किस्मत से रिकॉर्डिंग अच्छे से हो गई। मैंने अपनी आवाज नहीं खोई थी।" बता दें कि इस किस्से के बाद लताजी ने 'कहीं दीप जले कहीं दिल' गाना गाया था जोकि हेमंत कुमार ने कंपोज किया था। लताजी के इस गाने ने फिल्म फेयर अवॉर्ड जीता था।

ठीक होने में  मजरूह सुल्तान का अहम रोलः लता जी

लता जी के मुताबिक, उन्हें अच्छे से ठीक होने में मजरूह सुल्तान पुरी का अहम हाथ रहा है। उन्होंने कहा, "मजरूह साहब हर शाम घर आते और मेरे बगल में बैठकर कविताएं सुनाकर मेरा दिल बहलाया करते थे। वे दिन-रात व्यस्त रहते थे और उन्हें मुश्किल से सोने के लिए कुछ वक्त मिलता था लेकिन मेरी बीमारी के दौरान वे हर दिन आते थे। यहां तक कि मेरे लिए डिनर में बना सिंपल खाना खाते थे और मुझे कंपनी देते थे। अगर मजरूह साहब न होते तो मैं उस मुश्किल वक्त से उबरने में सक्षम न हो पाती।"

लता जी से यह भी पूछा गया कि आखिर कौन था जिन्होंने उसे जहर देने की कोशिश की। इस पर उन्होंने कहा, मुझे पता चल गया था। लेकिन हमने कोई एक्शन नहीं लिया। क्योंकि हमारे पास उस इंसान के खिलाफ कोई सबूत नहीं था।" बता दें कि लता जी ने 7 दशक से भी ज्यादा समय तक संगीत की सेवा की और हजारों गाने गाए। लता जी 91 साल की हो गई है। लता जी के गाने आज भी लोग काफी पसंद करते हैं।


 

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