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Jivitputrika Vrat: 29 सितंबर को रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें पूजा मुहूर्त व महत्व

  • Edited By neetu,
  • Updated: 28 Sep, 2021 05:17 PM
Jivitputrika Vrat: 29 सितंबर को रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें पूजा मुहूर्त व महत्व

हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस पावन व्रत को महिलाएं संतान प्राप्ति, पुत्रों की लंबी आयु व सुखी जीवन के लिए रखती है। कहा जाता है कि इस व्रत का नाम गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन के नाम पर ही रखा गया है। इस पावन व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। इसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। इस साल यह व्रत 28 सितंबर से शुरु होकर 29 सितंबर तक रखा जाएगा। चलिए जानते हैं शुभ मुहूर्त व महत्व...

जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त

जीवित्पुत्रिका व्रत आरंभ- 28 सितंबर 2021, दिन मंगलवार की शाम 06:16 मिनट से
जीवित्पुत्रिका व्रत समाप्त- 29 सितंबर 2021, दिन बुधवार की रात 08:29 मिनट पर
जीवित्पुत्रिका व्रत पारण- 30 सितंबर 2021, दिन गुरुवार

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसकी उदय तिथि 29 सितंबर होने से इस व्रत को इस तिथि पर ही रखा जाएगा।

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जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

मान्यता है कि इस शुभ व्रत को रखने से निसंतान को संतान प्राप्ति होती है। साथ ही पुत्र को लंबी उम्र, सेहत व सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। इस व्रत में व्रती को बिना जल व अन्न के रहना होता है, इसलिए इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है।

पूजा विधि

. सुबह नहाकर साफ कपड़े पहनें।
. फिर प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ करें।
. पूजा स्थल पर छोटा सा तालाब बनाकर एक पाकड़ पेड़ की डाल लाकर खड़ाकर करें।
. उसके बाद शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति की जल के किसी पात्र में स्थापना करें।
. भगवान को दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल व पीली रूई से सजाएं।
. उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
. इसके बाद मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बना लें।
. दोनों प्रतिमाओं को लाल सिंदूर चढ़ाएं।
. व्रत रखने का संकल्प लें और पुत्र की सुख-समृद्धि की कामना करें।
. पूजा के बाद व्रत कथा पढ़े या सुनें।

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व्रत में इन बातों का रखें ध्यान

रत रखने से पहले नोनी का साग खाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा विज्ञान के अनुसार भी नोनी में कैल्शियम और आयरन अधिक होता है। ऐसे में व्रत दौरान शरीर में एनर्जी बनी रहती है। इसके साथ ही पूजा के दौरान भगवान जीमूतवाहन को जो सरसों का तेल चढ़ाया हो उसे व्रत खोलने के बाद बच्‍चों के सिर पर लगाएं। मान्यता है कि इससे बच्चों को आयु लंबी व सुखी जीवन मिलता है।

जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण समय

किसी भी व्रत का पारण के बिना उसे पूरा नहीं माना जाता है। इसलिए अगर आप व्रत रख रही है तो इसका पारण जरूर करें। जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 30 सितंबर को किया जाएगा। इसके लिए सुबह नहाकर साफ कपड़े पहनें। उसके बाद पूजा करके व्रत का पारण करें। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, किसी भी व्रत के पारण के लिए सूर्योदय का समय सबसे उत्तम माना जाता है।

 

 

 

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