बरसात का मौसम आते ही मच्छर का आंतक बढ़ जाता है। जहां घरेलू कीड़ों के डंक आमतौर पर किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचते हैं, लेकिन इससे त्वचा पर हल्की परेशानी पैदा हो जाती है। खासकर प्रेग्नेंसी में कीड़े- मकोड़ों के काटने से होने वाले संक्रमण लंबा खिंच सकता है। इसलिए जरुरी है कि इनका तत्काल और प्रभावी उपचार किया जाए। मच्छरों के काटने से मलेरिया या डेंगू हो सकता है, जिससे शरीर की प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं। प्लेटलेट्स कम होना प्रेग्नेंसी में खतरनाक साबित हो सकता है.....
क्या प्रेग्नेंसी में कीड़े का काटना है खतरनाक
कीड़े का काटना हर बार खतरनाक नहीं होता। कुछ मामलों में कीड़े के काटने से संक्रमण हो सकता है। कुछ मच्छरों, मक्खियों, टिक्स, मकडि़यों, चीटियों, ततैया और मधुमक्खियों के काटने या डंक मारने से आमतौर पर त्वचा पर लाल रंग की गांठ बन सकती है, जिसमें खुजली, सूजन और दर्द हो सकता है। कुछ मामलों में कीड़ों के काटने से गंभीर एलर्जी जैसे निगलने में परेशानी, सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आना, चेहरा या मुंह सूजना आदि हो सकती है। जिसका तत्काल इलाज कराना जरूरी होता है।
प्रेग्नेंसी में कीड़े काटने पर ऐसे करें उपचार
कीड़ा काटने के तुरंत बाद यदि उपचार शुरु कर दिया जाए तो प्रेग्नेंसी में कीड़े के काटने के ऐसे उपचार कर सकते हैं...
कोल्ड कंप्रेस लगाएं – यदि आपको कीड़े के काटने का पता चलता है, तो उस जगह को तुरंत पानी से धो लें। प्रभावित क्षेत्र पर आइस पैक लगाएं। आइस पैक लगाने से दर्द और सूजन में राहत मिल सकती है।
ऑइंटमेंट लगाएं – कीड़ा या मच्छर के काटने पर कैलामाइन लोशन, बेनाड्रिल, हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम या ऑइंटमेंट लगाएं। ये लोशन खुजली को कम कर सकते हैं।
पेनकिलर – हालांकि प्रेग्नेंसी में किसी तरह का पेनकिलर या टेबलेट लेना खतरनाक हो सकता है लेकिन आप नॉन स्टेरॉइड एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स का सेवन कर सकते हैं। बेहतर होगा कि चिकित्सक से सलाह लेकर ही किसी भी दवा का सेवन करें।
फर्स्ट-एड – यदि प्रेग्नेंट महिला को गंभीर समस्या होती है और सांस लेने में कठिनाई आती है, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। प्रेग्नेंट महिला के कपड़े ढीले करें और उन्हें आराम से लिटा दें। जरूरत पड़ने पर सीपीआर दिलवाएं। समय-समय पर मरीज को पानी और लिक्विड चीजें देते रहें ताकि डिहाड्रेशन से बचा जा सके।
कीड़े काटने पर ये होते हैं लक्षण
– रैश और रेडनेस
– प्रभावित क्षेत्र में दर्द
– सूजन
– खुजली
– सुन्नपन
– काटे हुए क्षेत्र में गर्माहट
– फीवर
– उल्टी या चक्कर
– सांस लेने में परेशानी
– तेज हार्टबीट
– मांसपेशियों में दर्द
– बात करने में कठिनाई