दौड़ती-भागती दुनिया में पुरुषों से कंधा मिलाकर महिलाएं भी देश को आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं। अब उन्हें अपने परिवार चलाने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना पड़ता है, वह हिम्मत और मेहनत के दम पर असंभव को भी संभव करने में कामयाब हो रही हैं। बहुत से महिलाओं ने लोगों की रूढ़िवादी सोच को तोड़ने का भी काम किया है।
वैसे तो सड़को पर ऑटो चलते हमने कई देखें है, लेकिन जब कोई महिला इसे चलाती है तो पुरुष प्रधान समाज के लिए यह बहुत बड़ी बात हो जाती है। हैदराबाद में भी इन दिनों कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। यहां की सड़कों पर कभी पुरुष चालक ही ऑटो चलाया करते थे, लेकिन अब वहां 19 महिलाएं ऑटो चालकों के रूप में काम कर रही हैं।
महिला सशक्तिकरण की इस पहल का नेतृत्व अजमीरा बॉबी कर रही हैं। उन्होंने ऑटो ड्राइविंग को अपने पेशे के रूप में अपनाया और बाकी महिलाओं को शिक्षित करने, प्रशिक्षण देने और उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है। ETO Motors Pvt Ltd, एक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सर्विस प्रोवाइडर शाहीन ग्रुप (NGO) के सहयोग से, इन बेरोजगार महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद इलेक्ट्रिक ऑटो प्रदान कर रहा है।
महिलाओं को पहले ई-ऑटो चलाने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जाता है और फिर क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) से लाइसेंस के लिए आवेदन किया जाता है। अज़मीरा बॉबी का कहना है कि- "स्थानीय महिलाओं के साथ-साथ दिल्ली में 30 और उत्तर प्रदेश में 250 लड़कियों को उनके संबंधित सड़क परिवहन प्रशासन के सहयोग से भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।"
एक महिला ऑटो चालक ने कहा है कि उसने यह पेशा इसलिए अपनाया है ताकि वह अपने पति की आर्थिक रूप से मदद कर सके। उन्होंने बताया कि अकसर ग्राहक उनकी बहादुरी की प्रशंसा करते हैं। उनके ऑटो में आने वाली युवा लड़कियां महिला ड्राइवर के साथ खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं। महिला ऑटो चालकों के अनुसार 1000 रुपये से 1500 रुपये कमा लेतह हैं और दिन के अंत में महिला सशक्तिकरण समूह को अपने कामकाज का समर्थन करने के लिए 500 रुपये का भुगतान किया जाता है।