आज अधिकांश महिलाएं कामकाजी हैं, इसलिए उन्हें घर और दफ्तर दोनों मोर्चे संभालने पड़ते हैं। यदि वे समझदारी से काम लें तो वे दोनों ही जगह सफल हो सकती हैं। इसके लिए उन्हें होम मैनेजमैंट पर ध्यान देना होगा। कई वर्किंग वुमन घर का सारा काम स्वयं करना चाहती हैं। इसके दो कारण हो सकते हैं पहला तो यह कि उन्हें दूसरों का काम पसंद नहीं आता और दूसरा यह कि वे पैसे बचाना चाहती हैं। कारण चाहे जो भी हो, परिणाम एक ही होता है-दोहरी थकान।
ऐसे में यदि घर पर मेहमान आ जाएं तो परेशानी और थकान बढ़ जाती है इसलिए बेहतर होगा कि बाई रख लें ताकि झाड़ू-पोंछा तथा कपड़े धोने में लगने वाला समय व परिश्रम बच जाए। चाहे तो रोटी बनाने वाली भी रख सकती हैं ताकि समय पर खाना बन सके। यदि बच्चे छोटे हैं तो 24 घंटों के लिए नौकरानी रख लें या कम से कम कोई ऐसी रख लें जो आपके दफ्तर जाने के बाद बच्चों का ध्यान रख सके। यदि बच्चे थोड़े बड़े हैं और अपना काम स्वयं कर सकते हैं तो यह सब उन्हें करने दीजिए। जैसे स्कूल के लिए तैयार होना, अपनी किताबें-कापियां व्यवस्थित रखना आदि।
कामकाजी महिलाओं के पास समय की कमी होती है इसलिए किसी भी एक दिन ढेर सारे काम न निकालें अपितु उन्हें एक-एक करके निपटाएं, चाहे तो इसके लिए सप्ताह के दिनों को निश्चित कर लें। जैसे सोमवार को कपड़ों व चादर आदि की धुलाई, मंगलवार को घर की साफ-सफाई, बुधवार को खरीदारी, इसी क्रम के अनुसार आगे भी आवश्यकतानुसार कार्यों का समायोजन किया जा सकता है।
बच्चों के साथ समय व्यतीत करें
कामकाजी महिलाओं के पास अपने बच्चों के साथ गुजारने के लिए वक्त बहुत कम होता है इसलिए जब आप घर में हों, अपने बच्चों के साथ बातचीत करें ताकि उन्हें आपकी कमी का एहसास न हो। यदि आपके पति यानी बच्चों के पिता आपके साथ नहीं रहते या वह किसी जगह पदस्थ हैं अथवा आप विधवा या तलाकशुदा हैं तो ऐसी स्थिति में आप पर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है क्योंकि जो काम बच्चों के पिता कर सकते थे वे आपको करने होंगे जैसे टैलीफोन, बिजली के बिल, इंश्योरैंस का प्रीमियम आदि। यदि आप चाहें तो इनका भुगतान चैक द्वारा भी कर सकती हैं। बैंक, बीमा कम्पनी, टैलीफोन और बिजली विभागों में चैक बाक्स लगे होते हैं जिनमें आप अपना चैक डाल सकती हैं। इससे लाइन में खड़े नहीं रहना पड़ेगा और आपका समय बचेगा।
बच्चों को बनाएं आत्मनिर्भर
वर्किंग वुमन को चाहिए कि वे अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं ताकि वे अपने छोटे-मोटे काम स्वयं कर लें अन्यथा आपका समय नष्ट होगा। बच्चों को ही क्यों, पति को भी आत्मनिर्भर बनाएं ताकि वह छोटी-मोटी जरूरतों के लिए आप पर निर्भर न रहें। अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध बनाएं ताकि वक्त पड़ने पर वे आपके काम आ सकें। बाजार से राशन आदि लाने के लिए दुकान पर जाकर घंटों इंतजार करने की जरूरत नहीं है। आजकल दुकानदार घर पहुंच सेवा देने लगे हैं, अत: उन्हें सामान की लिस्ट दे आएं या टैलीफोन पर नोट करा दें। कामकाजी होने का मतलब यह नहीं कि अपने इस दायित्व से मुंह मोड़ लिया जाए। जब भी समय मिले, बच्चों की पढ़ाई संबंधी कठिनाइयों को दूर करें।
दफ्तर की परेशानियां घर पर शेयर न करें
अपने दफ्तर की परेशानियों और तनाव को घर पर न लाएं, न ही इस वजह से पति या बच्चों पर झल्लाएं। चूंकि नौकरी करने का विकल्प आपने स्वयं चुना है, इसलिए उसका एहसास न जताएं। दफ्तर और घर दोनों के बीच उचित तालमेल आपको बैठाना होगा। यदि आपकी तबीयत ठीक नहीं है या आपको कोई परेशानी है तो उसे छिपाएं नहीं, अपने पति बच्चों को बताएं। ऐसे में वे आपको सहयोग करेंगे।
बुजुर्गों के साथ समय का विभाजन इस प्रकार करें कि उन्हें परेशानी न हो
यदि घर में बूढ़े मां-बाप या सास-ससुर हैं तो उनकी देखभाल का जिम्मा भी आप पर ही है। उन्हें समय पर भोजन, चाय-नाश्ता व दवाएं देनी होती हैं इसलिए अपने समय का विभाजन इस प्रकार करें कि उन्हें कोई परेशानी न हो। दफ्तर जाने से पूर्व उनकी आवश्यकताओं को पूरा करें तथा आकर पुन: उनका कुशलक्षेम पूछें।