टेस्ट ट्यूब बेबी यानि IVF तकनीक उन औरतों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो किसी कारण मां नहीं बन पाती। सिर्फ आम महिलाएं ही नहीं बल्कि फेमस एक्ट्रेस भी इस तकनीक के जरिए मां बन रही हैं। वहीं, आजकल महिलाएं जुड़वा बच्चों की चाह में इस तकनीक का सहारा ले रही हैं। मगर, क्या वाकई IVF तकनीक जुड़वा बच्चों के लिए फायदेमंद है? क्या सिर्फ जुड़वा बच्चों की चाह में आईवीएफ करवाना सही है? चलिए जानते हैं कि क्या है इसपर एक्सपर्ट की राय...
सबसे पहले जानिए क्या है आईवीएफ ट्रीटमेंट?
IVF यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन में महिलाओं के यूट्रस में दवाइयों व इंजैक्शन से अंडे बनाए जाते हैं। इन्हें सर्जरी के जरिए निकालकर अल्ट्रासाउंड की मदद से पति के शुक्राणुओं (स्पर्म) के साथ मिलाया जाता है। इसे 2-3 दिन तक फर्टिलाइजेशन के लिए रखा जाता है और फिर इसे वापिस गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। इम्प्लांटेशन के 14 दिनों बाद ब्लड या प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता पता चलती है।
क्या वाकई IVF से हो सकते हैं जुड़वा बच्चें?
आईवीएफ उन जोड़ों के लिए फायदेमंद है, जो किसी कारण मां-बाप बन पाने में असमर्थ होते हैं। यह प्रेगनेंसी कंसीव करने का एक तरीका है न कि जुड़वा बच्चे पैदा करने का। IVF उन नि:संतान दंपत्ति को ऑफर किया जाता है जो बच्चा पैदा कर पाने में सक्षम नहीं होते। हालांकि इस ट्रीटमेंट से जुड़वां बच्चों के चांसेज रहते हैं क्योंकि इस तकनीक में एक से ज्यादा भ्रूण को ट्रांसफर किया जाता है।
जुड़वा बच्चों की चाह में IVF करवाना कितना सही?
इस बात की कोई गंरटी नहीं होती कि इससे जुड़वा बच्चे ही पैदा होंगे। दो भ्रूण ट्रांसफर करवाने पर भी जुड़वा बच्चे होने की संभावना सिर्फ 40% होती है। वहीं इससे जान जाने का भी खतरा रहता है। ऐस बात की कोई गारंटी नहीं होती है।
IVF जुड़वा प्रेगनेंसी से हो सकती है ये समस्याएं
1. जुड़वां प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन की दर ज्यादा होती है, जो मां और बच्चों दोनों के लिए खतरा पैदा करती है। साथ ही IVF डबल प्रेगनेंसी से अबॉर्शन, ब्लीडिंग, गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी का डर भी रहता है।
2. इससे भ्रूण में ट्विन टू ट्विन ट्रांसफ्यूजन सिंड्रोम (TTTS) की संभावना भी रहता है इसलिए कई देशों में एक भ्रूण को ट्रांसफर करने के ही आदेश है।
कितने समय में बन सकती हैं मां?
IVF में अंडे इंप्लांट करने के 12-14 दिन बाद ब्लड टेस्ट व प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है, जिसमें पता चलता है कि यह तकनीक सफल हुई या नहीं। इस प्रक्रिया से महिला के मां बनने के संभावना करीब 70% तक होती है।
क्या IVF बच्चा कपल का नहीं होता?
कुछ लोग समझते हैं कि आईवीएफ प्रक्रिया में बच्चा आपका नहीं होता लेकिन यह बहुत गलत धारणाएं हैं। इसमें अंडा पत्नी और शुक्राणु पति के ही होते हैं। हां, कई कपल होते हैं जिनमें एग या स्पर्म नहीं बनते, जिसमें डोनेट की जरूरत पड़ती है।
IVF बांझपन का ट्रीटमेंट है, इसे अपने मनमुताबिक और डिजाइनर बच्चे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।