सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान लोग शिव जी की कृपा पाने के लिए सुबह के समय शिवलिंग पर जल चढ़ते व पूजा करते हैं। मगर ऐसा जरूरी नहीं है कि शिव जी की पूजा सुबह के समय ही होती है। आप भोलेनाथ की पूजा शाम को भी की जाती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जिनके पास सुबह अधिक समय नहीं होता है वे शाम के समय शिव जी की पूजा कर सकते हैं। मगर पूजा करने से पहले विशेष मंत्रों का जप करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव मंत्रों से अति प्रसन्न होते हैं। ऐसे में वे भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
ऐसे करें शाम पूजा
- शाम के समय पूजा करने से पहले नहाकर साफ कपड़े पहन लें।
- उसके बाद चौकी साफ करके उसपर भोलेनाथ की मूर्ति स्थापित करें।
- मूर्ति स्थापना के बाद ‘ऊं वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो। वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद्।’ मंत्र का जप करते हुए शव प्रतिमा को स्नान कराएं।
- फिर ‘ऊं ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः। स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः’ मंत्र का जप करते हुए शिव जी को कच्चा सूत अर्पित करें।
ऐसे करें शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित
- अब हाथ जोड़कर ‘ऊं नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नम:। शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च’ मंत्र का जप करें।
- इसके बाद भोलेनाथ धूप, दीप, गंध अर्पित करें।
- उसके बाद ‘दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम्। अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्’ मंत्र का जप करते हुए बिल्वपत्र चढ़ाएं।
- इसके बाद विधि-विधान से शिव जी की पूजा करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शाम के समय मंत्रों का जप करते हुए शिव जी पूजा करने से महादेव अति प्रसन्न होते हैं। ऐसे में वे भक्तों पर अपनी असीम कृपा करने के साथ उन्हें मनचाहा फल प्रदान करते हैं।
इस मंत्र जप से करें पाएं भोलेनाथ की असीम कृपा
पूजा करने के बाद में ‘ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ महामृत्युजंय मंत्र का 11, 21, 51 या 108 बार जप करें। आप इस मंत्र का जप दिन में किसी भी समय कर सकते हैं। मान्यता है कि महामृत्युजंय मंत्र का जप करने से डर, अकाल मृत्यु, जीवन में अन्न व धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। मगर ध्यान रखें कि इस दौरान आपके मन में किसी के प्रति कोई छल-कपट व ईष्या भरे भाव नहीं होने चाहिए। नहीं तो आपके भगवान शिव की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।