महिलाओं के लिए थायराइड रोग एक बड़ी परेशानी बना हुआ है। शोध की मानें तो पुरुष के मुकाबले महिलाएं 8 गुना ज्यादा इसकी शिकार है। एक बार लगी यह बीमारी आपको उम्रभर के लिए दवा का मरीज बना देती है, लेकिन अगर इसे कंट्रोल ना किया जाए तो अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण आसानी से पकड़ में नहीं आते।
थायराइड क्या है?
दरअसल, थायराइज तितली के आकार का एक ग्लैंड है जो महिला और पुरुष दोनों में होता है। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म, हार्ट फंक्शन, हड्डियों, स्किन व आंतों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह ग्रंथि दो तरह के हार्मोन टी3 और टी 4 बनाती है लेकिन जब इनमें गड़बड़ आए तो कई समस्याएं शुरू हो जाती है।
महिलाओं को बना सकता है बांझ
थायराइड भी दो तरह का होता हैं - हाइपो और हाइपर थायराइड। महिलाओं में ज्यादातर हाइपो थायरायडिज्म के केस ज्यादा देखने को मिलते हैं। यह उन महिलाओं के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है जो कंसीव करना चाहती है। दरअसल, इसके कारण पीरियड्स व ओव्यूलेशन चक्र पर असर पड़ता है, जो महिला को मां नहीं बनने देती हैं यानि की बांझपन की समस्या।
थायराइड होने पर बॉडी कैसे संकेत देती है?
थायराइड कभी कभी कम या ज्यादा हो जाता है। जब इसके काम करने की क्षमता कम हो जाती है तो उसे हाइपोथायराइज्म कहते हैं। इसमें थकावट, पीरियड्स, मोटापा, चेहरे पर अनचाहे बाल आना जैसे समस्याएं होने लगती है। जबकि हाइपरथायराइड में नर्वसनेस, एंग्जायटी, स्ट्रेस जैसे लक्षण दिखते हैं।
किस उम्र में थायराइड का खतरा?
थायराइड एक ग्लैंड है जो किसी भी उम्र में काम करना बंद कर सकता है। बता दें कि थायराइड नवजात को भी हो सकता है। अक्सर जब बच्चे जन्म लेते हैं तो 4-5 वें दिन में बच्चे का थायराइड चेक किया जाता है। अगर उनके थायराइड में कुछ गड़बड़ी हो तो डॉक्टर दवा देते हैं लेकिन अगर ऐसा ना किया जाए तो उन्हें आगे चलकर दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा ऑटो इम्यून, रूमेटाइड अर्थराइटिस वालों को भी इसका खतरा अधिक होता है।
थायराइड की दवा कब तक और कैसे लेनी है?
हाइपोथायराइज्म की दवा सारी उम्र खानी पड़ती है जबकि हाइपरथायराइड दवाई कभी-कभी पूरी उम्र में नहीं चलती। हालांकि कई बार यह सारी उम्र भी खानी पड़ जाती है।
थायराइड औरतों का प्रेगनेंसी में सतर्क रहना कितना जरूरी?
गर्भवती महिलाओं को थायराइड को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है क्योंकि इसका असर भ्रूण के ब्रेन पर पड़ता है। अगर थायराइड बिगड़ जाए तो शिशु को मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
याद रखें ये बातें
थायराइड को कंट्रोल करने में हैल्दी लाइफस्टाइल का काफी अहम रोल है।
1. तनाव, चिंता से जितना हो सके दूर रहें और अपनी रूटीन में योग व एक्साइज को शामिल करें। इसके लिए आप मेडीटेशन, मत्सयासन, हलासन, विपरीत करनी और सर्वांगासन कर सकते हैं।
2. थायराइड रोगी को रोजाना 1 गिलास दूध पीना चाहिए। इसके अलावा डाइट में मौसमी फल, ताजी सब्जियां, साबुत अनाज, सुखे मेवे, मुलेठी, जैसी चीजें खाएं।
3. सोया प्रोडक्ट्स, ऑयली व मसालेदार भोजान, हाई कैलोरी, कॉफी, शुगर वाली चीजें, जंक फूड्स से परहेज करें क्योंकि ये मेटाबॉलिज्म धीमा कर देती हैं, जिससे रोग बढ़ सकता है। इसके अलावा सीफूड, ब्रोकली, रेड मीट, रिफाइंड फूड का सेवन भी बिलकुल ना करें।