कोरोना वायरस के बढ़ते संकट को देखते हुए लोगों को घर में रहने को कहा जा रहा है। इसके के लिए सरकार ने देशभर को कंपलीट लॉकडाउन भी कर दिया गया है। मगर, इस दौरान उन को काफी मुश्किल हो रही है, जिनके बच्चे छोटे हैं क्योंकि छोटे बच्चे घर पर नहीं टिकते। साथ ही बच्चे माता-पिता से तरह-तरह के सवाल भी करते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चे बोझ लगते हैं लेकिन आज हम आपको कुछ टिप्स देंगे, जिससे आप अपने बच्चे के टाइम-टेबल को मैनेज कर सकते हैं।
इन टिप्स से बच्चे बोर नहीं होंगे और उनकी हेल्थ एक्टिविटी व पढ़ाई भी हो जाएगी। चलिए जानते हैं लॉकडाउन में बच्चों को संभालने के टिप्स...
पेरेंट्स करें पूरा दिन का टाइम टेबल सेट
भले ही आप घर पर क्यों न हों, हर चीज का प्लान बनाना बहुत जरूरी है। सबसे पहले तो बच्चों का टाइम-टेबल बनाएं, जिसमें उनके सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक टाइम भी हो। इससे आपको उनका हर दिन मैनेंज करने में काफी मदद मिलेगी।
लॉकडाउन में बच्चों को ना समझे बोझ
इस दौरान बच्चों को बोझ ना सोचें बल्कि यह आपके लिए उनके साथ टाइम बिताने का सुनहरा मौका है। आप घर में रहकर बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम में ट्यूशन, डांस, अंताक्षरी, योग, होम डेकोरेशन, बागवानी सहित अनेक एक्टिविटी कर सकते हैं।
ऐसे रखें उन्हें मेंटल व फिजिकल रुप से एक्टिव
दिन की शुरूआत परिवार के साथ एक्सरसाइज से करें, ताकि यह बच्चे की रूटीन में शामिल हो जाए। उनका टाइम टेबल बनाएं, जिसमें खेल कूद के साथ एक्सरसाइज व योग शामिल करें। अगर बच्चा योगा नहीं करता तो आप डांस कर सकते हैं, जोकि एक तरह की एक्सरसाइज है।
एक्टिविटीज जैसे गेम्स, डांस व पेंटिंग में दिलाएं रुझान
खुद बच्चों के साथ मिलकर गेम्स खेंलें, पेटिंग या डांस करें। इससे वो जल्दी गेम्स में दिलचस्पी लेगा और इससे आपका भी टाइम-पास हो जाएगा।
मांएं घर के कामों में उन्हें भी करें बिजी
बच्चों को रोजमर्रा के काम सिखाएं, जो लड़के व लड़की दोनों के लिए जरूरी है। आप बच्चों से घर के छोटे-मोटे काम करवा सकती हैं, जिससे वो बिजी रहेंगे और आपको परेशान नहीं करेंगे। उन्हें रोटी बनाना, टेबल सेट करना, पौधों में पानी डालना, कपड़े तह करना जैसी चीजें सिखाने की कोशिश करें।
स्कूल बंद लेकिन पढ़ाई चालू
स्कूल बंद होने का ये मतलब नहीं कि बच्चे अब कुछ भी नहीं सीख सकते। ऐसे कई यूट्यूब चैनल (चैनल मम, टूनीआर्क्स, चूच टीवी) है, जिनके जरिए आप अपने बच्चों को कई बेहतर कोर्स की पढ़ाई करवा सकती हैं।
पिता व ग्रेंड पेरेंट्स दें उन्हें अपना क्वालिटी टाइम
घर के बड़े-बूढ़ से कहें कि वो बच्चों को अपना क्वालिटी टाइम दें। उन्हें पौराणिक कथाओं या अपनी जिंदगी से जुड़े एक्सपीरियंस शेयर करें। छोटे बच्चे अक्सर पुराने किस्से व कहानियों में दिलचस्पी लेते हैं।