आजकल लोग धोखाधड़ी करने में इतने माहिर हो गए हैं कि वह आम इंसान क्या भगवान को भी नहीं छोड़ रहे हैं।आंध्र प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुन आपका लोगों पर से विश्वास ही हट जाएगा। हर किसी के मन में बस यही सवाल है कि कोई भगवान के साथ ऐसा कैसे कर सकता है? चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
100 करोड़ रुपये का चेक देख सभी हैरान
दरअसल आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में सिंहाचलम पहाड़ी पर स्थित श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का प्रशासन उस समय हैरान रह गया जब उन्हें दानपात्र में से 100 करोड़ रुपये का चेक मिला। पहले तो किसी को विश्वाश ही नहीं हुआ कि कोई मोटी रकम दान में कैसे दे सकता है। ऐसे में इस चेक को कार्यकारी अधिकारी के पास ले जाया गया।
मंदिर प्रबंधन के उड़े होश
एक तरफ इस चेक को देखकर खुशी थी तो वहीं दूसारी तरफ गड़बड़ी की आशंका भी लग रही थी। मंदिर प्रबंधन ने भी देर ना करते हुए चेक को कैश करने के लिए बैंक को दे दिया। बैंक वालों और मंदिर प्रबंधन के उस समय होश उड़ गए जब पता चला कि अकाउंट में केवल 17 रुपए है। अब यह चेक चर्चा में बना हुआ है।
चेक की तस्वीर हो रही वायरल
इस चेक की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें बोड्डेपल्ली राधाकृष्ण नाम के शख्स के हस्ताक्षर नजर आ रहे हें।. हालांकि इस चेक पर शख्स ने कोई तारीख नहीं डाली थी। भगवान के साथ धोखा करने वाले शख्स का अकाउंट विशाखापत्तनम स्थित कोटक महिंद्रा बैंक में है। 100 करोड़ रुपये का चेक देने वाले इस शख्स का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
भारत का दूसरा सबसे अमीर मंदिर में से एक है ये
बता दें कि श्री वराह लक्ष्मी नृसिंह स्वामी मंदिर भगवान विष्णु के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यह मंदिर विष्णु के नौवें अवतार, भगवान नृसिंह को समर्पित है। यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है जिसे सिंहाचलम या शेर की पहाड़ी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर तिरुपति मंदिर के बाद भारत का दूसरा सबसे अमीर मंदिर है। यह मंदिर उड़ीसा और द्रविड़ शैली की वास्तुकला के समामेलन को प्रदर्शित करता हैं।
ये है इस मंदिर की खासियत
श्री वाराह लक्ष्मी नरसिंह मन्दिर सिंहाचल क्षेत्र में ग्यारहवीं शताब्दी में बने विश्व के गिने-चुने प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। पुरातत्व विशेषज्ञों ने मंदिर परिसर में लगभग 500 शिलालेखों की खोज की है जिनमें से कुछ राजाओं, उनके अधिकारियों और नागरिकों के योगदान द्वारा बनाए गए थे। मंदिर के अंदर दीवारों पर भगवान विष्णु, उनकी पत्नी लक्ष्मी और अज्वार के चित्र बने हुए हैं और प्रवेश द्वार पर हिन्दू संत के पैरों के निशान बने हुए हैं। प्रमुख मंदिर के परिसर में केवल चार मुख्य आभूषणों का उपयोग किया गया है, जिसमें हीरे और माणिक से बना एक थिरुनामम, पन्ना की एक श्रृंखला, एक 100 तोला सोने का कंगन और एक स्वर्ण मुकुट सम्मिलित है।