नारी डेस्क: देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं। इसके बाद श्री हरि के स्वरूप शालिग्राम का विवाह तुलसी के साथ कराया जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है, ऐसे में देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर पीला या लाल धागा बांधना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन से शुभ कार्यों का आरंभ माना जाता है, और तुलसी विवाह के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। पीला और लाल धागा बांधने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और सकारात्मकता लाने में मदद करता है।
तुलसी के पौधे पर पीला और लाल धागा बांधने के लाभ
सुख-समृद्धि का वास: तुलसी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। पीला धागा देवी लक्ष्मी का प्रिय रंग है, इसे बांधने से घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
वैवाहिक जीवन में शांति: लाल धागा विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में शांति और प्रेम बनाए रखने में सहायक माना जाता है। इसे बांधने से पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता बनी रहती है।
स्वास्थ्य लाभ: तुलसी को धार्मिक और औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। पीला या लाल धागा बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बाधाएं दूर होती हैं: यह माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी पर पीला या लाल धागा बांधने से जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पीला धागा बांधने की प्रक्रिया
कोई मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो पीले धागे को अपने शरीर की लंबाई के बराबर काट लें। अब तुलसी के पास जाकर इस पीले धागे में 108 गांठ बांधें। इस दौरान भी तुलसी जी से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते रहें, फिर इस धागे को तुलसी के पौधे में बांध दें। मनोकामना पूरी होने के बाद इस धागे को निकालकर जल में प्रवाहित कर दें।
धागा बांधने की प्रक्रिया
सबसे पहले तुलसी के पौधे की पत्तियों को पानी से धो लें और इसे साफ कर लें। एक लाल रंग का धागा लें। इसे भगवान का ध्यान करके शुद्ध मानकर तुलसी पर बांधें। धागा तुलसी के तने पर घड़ी की दिशा में तीन या सात बार लपेटें। धागा बांधते समय देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का ध्यान करें और घर की शांति, सुख-समृद्धि और परिवार के सदस्यों के कल्याण की प्रार्थना करें।