22 DECSUNDAY2024 8:57:08 PM
Nari

शादी से पहले करना होगा कपल्स को समझौता, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

  • Edited By palak,
  • Updated: 02 Nov, 2023 01:29 PM
शादी से पहले करना होगा कपल्स को समझौता, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

दिल्ली की अदालत ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। तलाक के एक मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि शादी के बाद आ रहे खतरों के बारे में कपल्स को जागरुक करने और मानसिक क्रूरता से बचाने के लिए शादी से पहले ही समझौतों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। आपको बता दें कि 2011 में हुई यूपी में हुई  एक कपल की शादी के मामले की सुनवाई हुई है। इस कपल ने एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए आपसी सहमित के साथ तलाक लेने से मना कर दिया था। इस सुनवाई में न्यायाधीश हरीश कुमार ने अहम फैसला सुनाया है। 

समय आ गया है कि शादी से पहले समझौता किया जाए 

इस मामले में सुनवाई देते हुए जज हरीश कुमार ने कहा कि - 'समय आ गया है कि शादी से पहले एक समझौता किया जाए जिससे विभिन्न कारणों से शादी के खतरे के बारे में दोनों पक्षों की कांउसलिंग के बाद नियुक्त प्राधिकारी के सामने निष्पादित किया जाए और हर बार उल्लंघन होने पर उल्लंघन की रिपोर्ट करना अनिवार्य किया जाए। यह साफ करते हुए कि यदि उल्लंघन की सूचना नहीं दी जाती है तो उसे बाद में नहीं सुना जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि 2014 में बच्चे के जन्म से पहले ही शादीशुदा कपल के बीच उनकी सहनशीलता से परे ही मतभेद होने लगे थे। जिसके बाद उन्होंने अपनी परेशानी का हल निकालने के लिए अलग-अलग अधिकारियों को संपर्क किया।' 

PunjabKesari

दोनों पति-पत्नी ने लगाए थे गंभीर आरोप

इस मामले में पीड़ित व्यक्ति ने पारिवारिक अदालत मुंबई में  क्रूरता का आरोप लगाते हुए साल 2016 में तलाक की अर्जी दायर की थी। इसके बाद पत्नी ने भी पति पर क्रूरता का आरोप लगाया था और घरेलू हिंसा से महिलाओं का सरंक्षण अधिनियम 2005 की धाराओं के अंतर्गत तलाक की याचिका दायर की थी। बाद में यह मामला 2023 में दिल्ली की अदालत में शिफ्ट कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी शादी तोड़ने के लिए तैयार खे लेकिन वह आपसी सहमति से तलाक पर सहमत नहीं हो सकते थे। कानून के अनुसार, तलाक के लिए पार्टियों को एक साथ एक याचिका दायर करने की आवश्यकता होती है। कानून द्वारा लगाई गई एक और शर्त यह है कि पार्टियों को तलाक की याचिका की तारीक से 6-18 महीने तक एक साथ रहना चाहिए ताकि वह अपनी शादी तोड़ने के फैसले पर एक बार दोबारा से सोच सकें।  

PunjabKesari

वहीं न्यायाधीश हरीश कुमार ने कहा कि अब के मामले में उनकी शादी तोड़ने के लिए उनकी इच्छा पिछले सात सालों से एक है लेकिन इसलिए कि इच्छा एचएमए की धारा 13B के अंतर्गत विशेष रुप से जरुरी नहीं थी। दोनों एक दूसरे के प्रति रुखे स्वभाव के चलते परेशान हैं। 

भारत में बढ़ रहे हैं ऐसे मामले 

भारत में ऐसे बढ़ते मामलों को देखते हुए अदालत ने कहा कि इन मामलों में ज्यादातर वास्तविक क्रूरता शामिल नहीं है लेकिन कानून इस तरह से बनाए गए हैं कि कपल्स के पास एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचता। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हालिया आंकड़ों की मानें तो महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लगभग एक तिहाई मामले पति या फिर रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के ही दर्ज किए गए थे। हालांकि इनमें दोषसिद्धि दर बहुत ही निराश करने वाला था। अदालत ने आगे कहा कि कपल्स को तलाक देने से इंकार करने से कानून प्रेरित मानसिक क्रूरता होगी और उनकी शादी तोड़ना, उनकी शादीशुदा जिंदगी में आई कड़वाहट दूर करने का एकमात्र तरीका यही है। 

PunjabKesari

Related News